
राजा भैया के सामने एमएलसी सीट बचाने की चुनौती, जाने क्यों हुआ पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला
प्रयागराज: यूपी विधानसभा चुनाव के बाद विधान परिषद चुनाव का रंग अब छाने लगा है। इस बार प्रतापगढ़ से राजा भैया के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। जनता लोकतांत्रिक दल, भाजपा और समाजवादी पार्टी से सीधा टक्कर होगा।पहली बार सत्तारुढ़ दल भाजपा के यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है, जबकि रघुराज प्रताप सिंह के सामने अपने करीबी की सीट को बरकरार रखने की चुनौती है।
राजा भैया के करीबी का रहा है कब्जा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजा भैया ने प्रतापगढ़ से दो सीट पर विजयी हासिल किया है। ऐसे ही विधान परिषद सदस्य की सीट पर वर्ष 1998 से रघुराज प्रताप सिंह के करीबी का कब्जा चला आ रहा है। इस सीट से लगातार 1998 से अक्षय प्रताप सिंह एमएलसी निर्वाचित होते आ रहे हैं। वर्ष 2004 में सांसद चुने जाने के कारण अक्षय प्रताप सिंह के इस्तीफा देने के बाद हुए उप चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह के करीबी आनंदभूषण सिंह एमएलसी निर्वाचित हुए थे। लेकिन इस बार तीनों पार्टियों से प्रत्याशी उतरे से त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है।
सपा सरकार में रहता है दबदबा
समाजवादी पार्टी की 2002 से पिछले चुनाव तक सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी करीबी रिश्ते मिठास होने की वजह से प्रतापगढ़ एमएलसी सीट पर राजा भैया के करीबी अक्षय प्रताप सिंह 2010 और 2016 में सपा के टिकट से चुनाव में उतरे थे। अब ऐसा पहली बार अक्षय प्रताप सिंह जनसत्ता दल लोकतात्रिक से चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा, विधानसभा के जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का एमएलसी का पहला चुनाव है।
इनके बीच है काटे की टक्कर
इस बार विधानसभा के बाद विधान परिषद चुनाव में प्रतापगढ़ में काटे की टक्कर है। चुनाव मैदान में भाजपा से पूर्व विधायक हरि प्रताप सिंह व सपा से जिला पंचायत सदस्य विजय यादव हैं। ऐसे में इस बार चुनाव में तीनों में कड़ी मुकाबला है। रघुराज प्रताप सिंह का अपना कब्जा बरकरार रखने के पूरी ताकत झोंकने में जुटे हैं। इसी तरह समाजवादी पार्टी को पिछड़े कार्ड पर भरोसा है। इन प्रत्याशियों अब जीत का फैसला 12 अप्रैल को होगा।
Published on:
26 Mar 2022 04:02 pm
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