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ज्ञानवापी विवाद: हिन्दू पक्ष ने कहा- औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया, लेकिन मस्जिद बनाने का नहीं

locationप्रयागराजPublished: Jul 22, 2022 11:52:20 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

कहा कि 1995 के वक्फ कानून लागू होने के बाद संपत्ति वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हो या अपंजीकृत हो,दोनों स्थिति में दुबारा पंजीकृत करानी होगी। विवादित संपत्ति कभी भी वक्फ कानून में पंजीकृत नहीं हुई। इसलिए संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं हो सकती। रस्तोगी ने कहा कि औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया किन्तु मस्जिद बनाने का आदेश नहीं दिया।क्योंकि इस्लामिक कानून के अनुसार विवादित जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती।

ज्ञानवापी विवाद: हिन्दू पक्ष ने कहा- औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया, लेकिन मस्जिद बनाने का नहीं

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प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर मस्जिद मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रही। मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 26 जुलाई को करेगा। मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने किया।
मामले की सुनवाई शुरू हुई तो मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी दलील पेश करते हुए उन्होंने ने कहा कि वक्फ कानून के प्रावधान केवल मुस्लिमो पर ही लागू होंगे। इस कानून में मुश्लिमों के आपसी विवाद ही तय किए जा सकते हैं। वक्फ कानून हिंदुओं पर लागू नहीं होता। रस्तोगी ने कहा यदि वक्फ बोर्ड और गैर मुस्लिम के बीच विवाद हो तो हिंदू पक्ष को नोटिस देना जरूरी है। प्रश्नगत मामले में वादियों को नोटिस नहीं दी गई है। इसलिए विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जा सकती।
रस्तोगी ने कहा कि 1995 के वक्फ कानून लागू होने के बाद संपत्ति वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हो या अपंजीकृत हो,दोनों स्थिति में दुबारा पंजीकृत करानी होगी। विवादित संपत्ति कभी भी वक्फ कानून में पंजीकृत नहीं हुई। इसलिए संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं हो सकती। रस्तोगी ने कहा कि औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़ने का आदेश दिया किन्तु मस्जिद बनाने का आदेश नहीं दिया।क्योंकि इस्लामिक कानून के अनुसार विवादित जमीन पर मस्जिद नहीं बन सकती। मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त कर अवैध रूप से स्थानीय मुसलमानों ने मस्जिद का निर्माण किया है। औरंगजेब ने मालिकाना हक नहीं लिया। सतयुग से स्वयं भू आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर है।पूरी संपत्ति मूर्ति में निहित है। संपत्ति पर मंदिर का ही स्वामित्व है। इसलिए 1991का कानून इस मामले में लागू नहीं होगा। रस्तोगी ने कहा कि उ प्र काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983मे मंदिर की परिभाषा दी गई है।इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में वैध करार दिया है। इसलिए अवैध रूप से बनी मस्जिद या वक्फ का कोई अस्तित्व नहीं है।
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अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने कहा कि मंदिर पक्ष ने 1991मे वाद दायर किया था जिसमें मस्जिद को स्वीकार किया है।और वक्फ कानून1995 में ही स्पष्ट किया है कि कानून लागू होने पर पहले से पंजीकृत संपत्ति का दुबारा पंजीकरण कराना जरूरी नहीं है। उन्होंने ने धारा 43का जिक्र किया। जिसमें कहा गया है कि पहले से पंजीकृत संपत्ति डीम्ड पंजीकृत मानी जायेगी। नकवी ने काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983के बारे में कहा कि यह मंदिर के बेहतर प्रबंधन का कानून हैं।इसका मस्जिद से कोई सरोकार नहीं है।समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी।अगली सुनवाई 26जुलाई को होगी।
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