
रामजन्म भूमि के एतिहासिक फैसलें में , इन दो जजों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
प्रयागराज। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का धर्म नगरी प्रयागराज से जुड़ाव त्रेता से ही रहा है। दशरथ नंदन भगवान राम के जीवन का सबसे कठिन समय 14 वर्ष का वनवास प्रयागराज के ही श्रृंगवेरपुर तट से प्रारंभ हुआ था। लंका विजय करके लौटे तो उन्होंने प्रयागराज में भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने के बाद अयोध्या वापस गए थे। वही कलयुग में भी भगवान् राम को न्याय दिलाने वाली पीठ में इलाहबाद हाईकोर्ट से जुड़े दो महत्वपूर्ण चेहरे जुड़े रहे। भगवान राम को सैकड़ों बरस बाद न्याय मिला जिसमें प्रयागराज से जुड़े दो न्यायधीशों ने अहम् भूमिका निभाई। देश भर में अयोध्या के फैसलें को लेकर सरगर्मी रही लेकिन संगम नगरी के माथे पर भी बड़ा तनाव रहा ।
इस फैसलें ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसलें को खारिज कर दिया गया, जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जाने का आदेश दिया गया था । इस फैसलें के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीमकोर्ट चल गये थे । चार सौ सालों से ज्यादा न्यायिक प्रक्रिया में दो संप्रदायों के बीच विवाद में फंसे इस फैसले को देने के लिए जिन पांच न्यायाधीशों की पीठ बैठी थी । उनमें दो चेहरे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़े हुए थे। जिन पर सभी की नजर रही है ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण को सुनने और उनकी प्रतिकिया जानने के लिए लोग उत्सुक रहे । बता दें कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं तो वही अशोक भूषण और न्यायाधीश तो नहीं लेकिन अधिवक्ता के रूप में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपना सफर शुरू किया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण के जरिए एक बार फिर प्रयागराज अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले के साथ जुड़ा यह दोनों जस्टिस अपने ऐतिहासिक फैसले और मुकदमों की सुनवाई के लिए देश भर में जाने जाते हैं ।
Published on:
09 Nov 2019 11:12 pm
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