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लॉकडाउन में भी स्कूल फीस वसूलने को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल, स्कूलों पर लगे यह आरोप

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) में स्कूलों द्वारा वसूली (School Fees) जा रही फीस को लेकर याचिका दाखिल की गई है।

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Allahabad Highcourt

Allahabad Highcourt

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) में स्कूलों द्वारा वसूली (School Fees) जा रही फीस को लेकर याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि निजी स्कूल अभिभावकों व स्कूली बच्चों पर एसएमएस के जरिए अधिक फीस जमा करने का दबाव डाल रहे हैं। इसी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व में यूपी सरकार से भी जवाब मांगा था। पूछा था कि स्कूल में कक्षाएं न चलने के बाद भी स्कूल की फीस को लेकर क्या नियम लाए गए हैं। ताजा याचिका में राज्य में निजी स्कूलों द्वारा वसूले जा रही अतिरिक्त फीस और मनमानी शुल्क को चुनौती दी गई है।

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2020-2021 सत्र के लिए वसूली जा रही फीस-

मुरादाबाद में माता-पिता एसोसिएशन के सदस्यों ने यह ताजा याचिका दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि माता-पिता और बच्चों को निजी स्कूल एसएमएस और व्हाट्सएप मैजेस के जरिए 2020-2021 के सत्र के लिए मनमानी और अत्यधिक स्कूल फीस का भुगतान करने के लिए लगातार परेशान कर रहे हैं। जबकि इस सत्र में लॉकडाउन लगा था, स्कूल बंद थे और कोई सेवा प्रदान नहीं की गई थी।

बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं की भी अनुमति नहीं दी गई-

याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य की निष्क्रियता के चलते मुरादाबाद जिले में शायद ही कोई स्कूल है, जो फीस के लिए अभिभावकों को परेशान नहीं कर रहा है, बावजूद इसके कि कई महीनों तक स्कूल बंद रहे थे। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि शहर के निजी स्कूल न तो बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं में जाने की अनुमति दे रहे हैं, न ही उन्हें परीक्षाओं में बैठने की अनुमति दे रहे हैं और न ही उन्हें उच्च कक्षाओं में पदोन्नत कर रहे हैं।

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दायर याचिका में अधिवक्ता शशवत आनंद और अधिवक्ता अंकुर आज़ाद बताते हैं कि अत्यधिक फीस या अनुचित मांगों को लेकर यूपी स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम, 2018 अधिनियमित किया गया था। उक्त अधिनियम की धारा 8 में निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क को विनियमित करने और उसी के संबंध में छात्रों/अभिभावकों/अभिभावकों की शिकायतों को सुनने के लिए 'जिला शुल्क नियामक समिति' के गठन का प्रावधान है। हालाँकि, आज तक राज्य में ऐसी कोई समितियाँ नहीं बनाई गई। राज्य सरकार ने व्यथित माता-पिता की परेशानियों के लिए कोई समाधान नहीं किया। यह मामला 19 अप्रैल, 2021 को सूचीबद्ध होने की संभावना है।