scriptUP Assembly Election 2022: जाने पूर्वंचल के चुनावी जंग में बाहुबलियों की कहानी, इस वजह से इनके इर्द-गिर्द घूमती है सत्त्ता | up election, Know the story of Bahubali in the battle of Purvanchal UP | Patrika News

UP Assembly Election 2022: जाने पूर्वंचल के चुनावी जंग में बाहुबलियों की कहानी, इस वजह से इनके इर्द-गिर्द घूमती है सत्त्ता

locationप्रयागराजPublished: Mar 02, 2022 04:56:36 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बाहुबलियों का वर्चस्व हमेशा से कायम है। बाहुबली अपने गढ़ में सत्ता पाने के लिए हर हद को पार कर जाते हैं। ऐसे ही कुछ चुनिंदा बाहुबलियों का राज पूर्वंचल में कायम है। इनका यूपी में सत्ता किसी के पास भी हो लेकिन राज और टूटी तो बाहुबलियों की ही बोलती है। पूर्वांचल के ज्यादातर क्षेत्रों में बाहुबली और उनके करीबियों दबदबा रहता है। वह चाहे वो जेल में हों या फिर जेल के बाहर हो राज एकतरफा रहता है। आइये जानते है पूर्वंचल के जंग में बाहुबलियों की कहानी…

UP Assembly Election 2022: जाने पूर्वंचल की जंग में बाहुबलियों की कहानी, इस वजह से इनके इर्द-गिर्द घूमती है सत्त्ता

UP Assembly Election 2022: जाने पूर्वंचल की जंग में बाहुबलियों की कहानी, इस वजह से इनके इर्द-गिर्द घूमती है सत्त्ता

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश का पांचवें चरण का मतदान होने के बाद अब विधानसभा का जंग पूर्वंचल की ओर बढ़ गया है। 3 और 7 मार्च को 111 सीटों पर मतदान होगा। अब बारी पूर्वांचल की है, उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल ऐसा है जहां राजनीतिक दलों की तस्वीर बदलने की काम बाहुबली करते हैं। उनके साथ ही साथ उनके करीबी और रिश्तेदारों का भी दबदबा कायम रहता है। जानकारी देने का यह मतलब है कि सरकार किसी की भी हो लेकिन ज्यादातर क्षेत्रों में बाहुबलियों की ही तूती बोलती है। पूर्वंचल में इन बाहुबली की अब छिड़ी है जंग और उनके बेटे या फिर करीबी मैदान में उतरे हैं। बाहुबली के गढ़ से अब कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसका फैसला 10 मार्च को होगा।
बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे भी चुनावी मैदान पर उतरे

मुख्यमंत्री सीएम योगी का गढ़ गोरखपुर के बाहुबली हरिशंकर तिवारी ने इस बार अपनी परंपरागत विधानसभा सीट चिल्लूपार से अपने बेटे विनय शंकर तिवारी को मैदान में उतारा है। हर बार की तरह इस बार भी वर्चस्व कायम रखने के लिए दमखम दिखा रहे हैं। इस विधानसभा सीट का एक समीकरण यह भी है कि यहां पिछले 37 सालों से ब्राह्मण नेता ही विधायक बनता रहा है। ब्राह्मणों की नाराज़गी को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने विनय शंकर तिवारी को सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पेश किया है। सपा प्रत्याशी को बसपा से निष्कासित किए जाने के बाद विनय शंकर को सपा की ओर से टिकट दिया गया है। अब देखना होगा कि इस बार यहां समाजवादी की जीत होगी या फिर बीजेपी की होगी।
मऊ में बेटे के हाथ मे है मुख़्तार की विरासत

पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाहुबली मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल में खूब दबदबा रहा है। पिछले 15 सालों से मुख्तार जेल में हैं इसके बावजूद वो ज़िले की सदर विधानसभा से चुनाव जीतते रहे हैं और इस सीट से पांच बार विधायक भी रहे हैं। लेकिन अब मुख्तार की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनका बेटा अब्बास चुनावी मैदान में कूद गए हैं। जिसे सपा गठबंधन में शामिल सुभासपा से टिकट दिया गया है। इससे पहले अब्बास ने बसपा के टिकट पर घोसी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के फागू चौहान ने उन्हें हरा दिया था। इस बार भी अब्बास की टक्कर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर और भाजपा के अशोक कुमार सिंह से है। अब मुख्तार अंसारी के वर्चस्व को कायम रखने के लिए बेटे ने मैदान में जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहीं मोहम्मदाबाद सीट पर भी मुख्तार अंसारी का भतीजा मन्नू अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है।
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आज़मगढ़ से रमाकांत ने ठोकी है ताल

बाहुबली के नाम आते ही सबसे पहले पूर्वंचल यूपी में रमाकांत यादव का ख्याल पहले आता है। रमाकांत का वर्चस्व आजमगढ़ में वर्षों से कायम है। अभी हाल में शराब कांड में बाहुबली का नाम लंबे समय ताल सुर्खियों में बना रहा था। इस बार रमाकांत फूलपुर पवई सीट से सपा के टिकट पर मैदान में हैं। इस सीट पर उनके बेटे अरुणकांत वर्तमान में भाजपा से विधायक हैं लेकिन बीजेपी ने इस बार चुनाव में रामसूरत को मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए शकील अहमद को मैदान में उतारा है।
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जदयू के टिकट पर बाहुबली धनंजय

पूर्वंचल के बाहुबली में जौनपुर की मल्हनी सीट से चुनाव लड़ रहे बाहुबली धनंजय सिंह नाम बड़ा है। कई आपराधिक मामले के बावजूद सरकार कोई भी लेकिन धनंजय सिंह का काम होता है। 2022 के यूपी विधानसभा में वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर मैदान में हैं। इसके अलावा उनकी पत्नी श्रीकला रेडी बीते पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं। जानकारी है कि 2017 में धनंजय सिंह निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था हालांकि सपा के पारसनाथ यादव से हार गए थे। इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन के चलते निषाद पार्टी ने दागी उम्मीदवारों से किनारा कर दिया इसलिए धनंजय सिंह को टिकट नहीं मिल पाया।
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बाहुबली बृजेश सिंह की प्रतिष्ठा अब भांजे के कांधे पर

यूपी के एक और बड़ा नाम है जो इस समय वाराणसी की सेंट्रल जेल में सज़ा काट रहे है। यूपी पूर्वांचल के बाहुबली लिस्ट में बृजेश के आंतक से हर कोई वाकिफ है। इस बार के विधानसभा मेर भले ही वो चुनावी मैदान में खुद न हों लेकिन अपने भांजे सुशील सिंह को ज़रूर भाजपा से टिकट दिलवाकर चंदौली की सैयद राजा सीट से मैदान में उतार दिया है। वहीं सुशील सिंह का जीतना बृजेश सिंह की साख के लिए भी जरूरी है। सुशील पहली बार चंदौली के धानापुर से विधायक बने थे, इसके बाद सैयदराजा से भाजपा के विधायक हैं। इस बार वह चौथी बार चुनाव मैदान में है। इस सीट पर सपा से मनोज कुमार और बसपा से अमित कुमार यादव मैदान में है।
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यूपी का यह बाहुबली जेल से ही लड़ेंगे चुनाव

बनारस से सटे भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्रा प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोक दिया है। न्यायालय के आदेश पर उन्होंने नामांकन प्रक्रिया पूरा किया था इसके अब चुनावी विगुल जेल के चार दीवारों से फूंक रहे हैं। विजय मिश्रा को निषाद पार्टी के विपुल दुबे, सपा के रामकिशोर बिंद और बसपा के उपेंद्र सिंह चुनौती देंगे। विजय मिश्रा रिश्तेदार का मकान और फर्म कब्जा करने के साथ ही युवती से दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद है।
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