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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाने क्यों कहा- जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद क्षेत्राधिकार की आपत्ति नहीं है सही

locationप्रयागराजPublished: Mar 26, 2022 01:09:59 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

यदि कंपनी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया हो और असेसमेंट आदेश जारी किया गया है तो हाईकोर्ट में क्षेत्राधिकार की आपत्ति करना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने उप आयुक्त राज्य जी एस टी सहारनपुर की कार्यवाही को क्षेत्राधिकार से बाधित नहीं माना और कारण बताओ नोटिस जारी करने की अधिकारिता के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाने क्यों कहा- जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद क्षेत्राधिकार की आपत्ति नहीं है सही

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाने क्यों कहा- जीएसटी कानून के तहत कार्यवाही में हिस्सा लेने के बाद क्षेत्राधिकार की आपत्ति नहीं है सही

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जी एस टी कानून के तहत क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले अधिकारी केन्द्र व राज्य दोनों के उचित अधिकारी होंगे। यदि कोई कंपनी केंद्र सरकार की जी एस टी में पंजीकृत हैं,और राज्य सरकार के जी एस टी अधिकारी कारण बताओ नोटिस जारी कर असेसेमेंट आदेश पारित करता है तो कंपनी को उसी समय अधिकार क्षेत्र की आपत्ति करनी चाहिए। यदि कंपनी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया हो और असेसमेंट आदेश जारी किया गया है तो हाईकोर्ट में क्षेत्राधिकार की आपत्ति करना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने उप आयुक्त राज्य जी एस टी सहारनपुर की कार्यवाही को क्षेत्राधिकार से बाधित नहीं माना और कारण बताओ नोटिस जारी करने की अधिकारिता के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।
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कोर्ट ने कहा है कि याची चाहे तो नियमानुसार असेसमेंट आदेश के खिलाफ धारा 107मे अपील दाखिल कर सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने लुब्रिकेंट के व्यवसाई अजय वर्मा की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठअधिवक्ता शंभू चोपड़ा , राज्य सरकार के अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाह वह केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने बहस की। याची का कहना था कि वह केंद्रीय जी एस टी विभाग में पंजीकृत हैं। इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई केंद्र सरकार के अधिकारिता वाले अधिकारी ही कर सकते हैं। राज्य जी एस टी विभाग के उप आयुक्त को कारण बताओ नोटिस जारी करने का क्षेत्राधिकार नहीं है।
इसलिए कार्यवाही रद्द की जाए। सरकार की तरफ से कहा गया कि धारा 6(२)(बी)के अनुसार जब केंद्रीय अधिकारी ने कार्यवाही शुरू की हो तो राज्य के अधिकारी कार्यवाही नहीं करेंगे। प्रश्नगत मामले में राज्य सरकार के अधिकारी के कार्यवाही शुरू करने के कारण केंद्र सरकार के अधिकारी ने कार्यवाही पूरी करने की छूट दी है।ऐसा इसलिए है कि दो कार्यवाहियों में टकराव न हो।दोनों ही अधिकारियों को कार्यवाही करने का अधिकार है।
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कोर्ट ने कहा कि याची को शुरू में ही बताना चाहिए था कि वह केंद्र में पंजीकृत हैं।उसी को कार्यवाही का अधिकार है। किंतु ऐसा नहीं किया गया।आदेश होने के बाद अधिकार क्षेत्र का सवाल उठाना सही नहीं है।यह नहीं कह सकते कि उप आयुक्त जी एस टी सहारनपुर को क्षेत्राधिकार नहीं है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
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