28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पांडुपोल मार्ग को बनाया जाएगा ई-बस संचालन के अनुरूप, होंगे 15 करोड़ खर्च

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सरिस्का में सदर गेट से पांडुपोल तक जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ई-बस चलाने का किया था ऐलान।

2 min read
Google source verification

अकबरपुर (अलवर). सरिस्का बाघ अभयारण्य स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर तक जाने के लिए अब इलेक्ट्रॉनिक बस चलाने से पहले यहां के रोड को इलेक्ट्रॉनिक बस के अनुरूप तैयार किए जाएंगे। इसके लिए करीब 15 करोड रुपए का बजट खर्च होंगे।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सरिस्का में सदर गेट से पांडुपोल तक जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ई बस चलाने का ऐलान किया था और ई बस साफ रोड पर चलाई जा सकेगी। सरिस्का का सारा रूट यहां खराब है। वर्षा काल में पहाड़ों से पानी के बहने के कारण के कटाव हो जाता है। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक बस चलाना बहुत टेढ़ा काम होगा। फिर ये बसें भी जल्दी खराब होगी। ऐसे में पर्यावरण को बचाए रखने के लिए यहां पर बसों को चलाने से पहले सड़कों को दुरुस्त किया जाएगा। अभी तक तो यहां पर जिप्सियां ही जाती हैं। इसके अलावा शनिवार और मंगलवार को निजी वाहन पांडुपोल हनुमानजी मंदिर तक जाते हैं।

उड़ती है धूल

मार्ग में चलने पर इतनी धूल उड़ती है कि बाहर से आने वाले दर्शनार्थी और पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यहां पर राजस्थान कंजर्वेशन फाउंडेशन की ओर से पांडुपोल तक सड़क बनाने पर सहमति व्यक्त की गई है। हालांकि इलेक्ट्रॉनिक बस चलाने से पहले सरकार ने सरिस्का के सदर गेट से पांडुपोल तक राजस्थान रोडवेज की बस चलने चलाना शुरू किया है, जिससे श्रद्धालुओं को बस में सुविधा मिल रही है।

यह बोले वन मंत्री

वन मंत्री संजय शर्मा ने बताया कि गत दिनों राजस्थान कंजर्वेशन फाउंडेशन की बैठक में ये बात आई थी कि पांडुपोल जाने के लिए धूल काफी उड़ती है। पांडुपोल दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में वाहन जाते हैं। सड़क के दोनों और पेड़ों पर धूल जमी हुई है। ऐसे में इस रोड को बनाने के लिए सहमति व्यक्त की गई। उन्होंने कहा कि इसके लिए 15 करोड रुपए का बजट रखा गया है। जिसमें अलवर सदर गेट से पांडुपोल तक और कटी घाटी से टहला तक रोड बनाया जाएगा और इलेक्ट्रॉनिक बसे चलाने के लिए कोई परेशानी नहीं होगी। सड़कें अच्छी होंगी तो निश्चित रूप से बसें भी सही तरीके से चलेंगी और वन विभाग इसके लिए मुस्तैदी से काम कर रहा है।