30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अलवर में स्वदेशी बकरी की नई नस्ल की हुई पहचान, यह है खासियत  

आईसीएआर राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की टीम ने अलवर जिले में सर्वेक्षण कर स्वदेशी बकरी की एक नई नस्ल की पहचान की है।

2 min read
Google source verification

टीम ने किया सर्वे (फोटो - पत्रिका)

आईसीएआर राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की टीम ने अलवर जिले में सर्वेक्षण कर स्वदेशी बकरी की एक नई नस्ल की पहचान की है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पिछले तीन दिनों से अलवर जिले के विभिन्न ब्लॉकों के क्षेत्रों में सर्वेक्षण किया। प्रारंभिक सर्वेक्षण में टीम ने ‘बत्तीसी’ के रूप में जानी जाने वाली एक नई स्वदेशी बकरी आबादी की पहचान की, जिसे स्वदेशी बकरी नस्ल की मान्यता मिल सकती है।

परियोजना के प्रधान वैज्ञानिक और प्रधान अन्वेषक डॉ. दिनेश कुमार यादव ने बताया कि ब्यूरो राज्य में स्वदेशी पशुधन और मुर्गी पालन का दस्तावेजीकरण करने और संभावित नस्लों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण कर रहा है। अलवर जिले में एक नई बकरी आबादी बत्तीसी की पहचान की गई, जिसे आगे स्वदेशी बकरी नस्ल के रूप में चित्रित और पहचाना जा सकता है। ‘बत्तीसी’ बकरियां स्थानीय वातावरण के अनुकूल हैं।

पेट पर काले रंग का अंगूठी जैसा निशान

यह बकरियां सफेद रंग की होती हैं, जिनके पेट पर काले रंग का अंगूठी जैसा निशान होता है और चेहरे व गर्दन पर काले धब्बे होते हैं। बकरियां लंबी, लेकिन पतले शरीर वाली हैं। ये बकरियां अच्छा दूध देने वाली होती हैं और लगभग 3-4 महीने की अवधि के लिए एक दिन में 1 से 2 लीटर दूध प्रदान करती हैं। ये नियमित रूप से जुड़वा बच्चों को जन्म देती हैं। ब्यूरो के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके निरंजन ने बताया कि वर्तमान में राजस्थान में 34 पशुधन और मुर्गी पंजीकृत नस्लें हैं, जो देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक हैं। अभी भी कई नई स्वदेशी आबादी हैं जिनकी पहचान की जा रही है।

विभाग ने नस्लवार पशुधन गणना

पशुपालन विभाग अलवर के संयुक्त संचालक डॉ. रमेश चंद मीणा ने बताया कि विभाग ने इस वर्ष नस्लवार पशुधन गणना पूरी की है। यह सर्वेक्षण देशी जानवरों का पहचान करेगा और राज्य में अवर्गीकृत पशुओं को कम करने में मदद करेगा।

यहां किया निरीक्षण व दौरा

विभाग के अधिकारियों के साथ टीम ने मालाखेड़ा, रैणी, उमरैण, रामगढ़, थानागाजी ब्लॉक के गांवों में सर्वे किया। पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रदीप सिंह ने बताया कि टीम ने निराश्रित मवेशियों पर भी सर्वेक्षण किया, ताकि कारणों की पहचान कर उनके प्रबंधन के लिए नीति व सुझाव दिया जा सके। टीम ने जिले के विभिन्न गोशालाओं का दौरा किया और ग्रामीणों, किसानों के साथ बातचीत की। टीम ने अलवर जिले के नगर निगम के आयुक्त और पशुपालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निराश्रित पशु प्रबंधन के मुद्दे पर भी बातचीत की।