
बच्चे ‘अरावली बचाओ’ कागज पर लिखकर लाते हैं और उन्हें समोसे मिलते हैं (फोटो - पत्रिका)
अरावली पहाड़ियों के संरक्षण को लेकर देशभर में उठ रही चिंताओं के बीच अलवर के नोगांवा में एक दुकानदार की अनोखी पहल लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से दुकानदार जैन स्वीट्स के राकेश जैन उर्फ बंटी जैन ने खास तौर पर स्कूली बच्चों को जोड़ते हुए एक रचनात्मक मुहिम शुरू की है। इस मुहिम के तहत बच्चे कागज पर 100 बार “अरावली बचाओ” लिखकर दुकान पर लाते हैं और बदले में उन्हें पुरस्कार स्वरूप स्वादिष्ट पनीर के समोसे दिए जा रहे हैं।
इस अनोखी पहल का उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना और अरावली के महत्व को समझाना है। दुकानदार का कहना है कि बच्चे जब लिखते हैं, तो उनके मन में सवाल भी उठते हैं कि अरावली क्यों बचानी है। इसी बहाने उन्हें अरावली के पर्यावरणीय, जल संरक्षण और जैव विविधता से जुड़े महत्व के बारे में जानकारी दी जाती है। अब तक दर्जनों बच्चे इस मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं और पुरस्कार पा चुके हैं, जबकि यह अभियान लगातार जारी है।
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पहाड़ियों की परिभाषा में बदलाव के बाद कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। नई परिभाषा के अनुसार आसपास की जमीन से कम से कम 100 मीटर ऊंचे भू-भाग को ही अरावली पहाड़ी माना जाएगा। इस फैसले के बाद लोगों में आशंका है कि अरावली क्षेत्र में खनन गतिविधियों को लेकर सरकार की सख्ती कम हो सकती है, जिससे इन प्राचीन पहाड़ियों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
अरावली दुनिया की सबसे पुरानी भूगर्भीय संरचनाओं में से एक मानी जाती है, जो राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली तक फैली हुई है। यह पर्वतमाला न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है, बल्कि जलवायु नियंत्रण, भूजल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में भी सहायक है। ऐसे में एक दुकानदार की यह छोटी लेकिन प्रभावी पहल समाज को यह संदेश दे रही है कि अरावली को बचाने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है।
Updated on:
23 Dec 2025 12:49 pm
Published on:
23 Dec 2025 11:53 am
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