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कोरोना काल में दाखिले का ग्राफ रहा ऊंचा, अब घट रहा नामांकन

अलवर जिले में कोरोना काल के दौरान दाखिले के ग्राफ ने छलांग लगाई और जैसे ही कोरोना काल खत्म हुआ और स्थिति सामान्य हुई तो सरकारी स्कूलों में दाखिले का ग्राफ गिरने लगा। पुराने जिला सहित अलवर जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या 2782 है।

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अलवर

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jitendra kumar

Jan 08, 2024

कोरोना काल में दाखिले का ग्राफ रहा ऊंचा, अब घट रहा नामांकन

कोरोना काल में दाखिले का ग्राफ रहा ऊंचा, अब घट रहा नामांकन

अलवर जिले में कोरोना काल के दौरान दाखिले के ग्राफ ने छलांग लगाई और जैसे ही कोरोना काल खत्म हुआ और स्थिति सामान्य हुई तो सरकारी स्कूलों में दाखिले का ग्राफ गिरने लगा। पुराने जिला सहित अलवर जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या 2782 है।

इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में पिछले चार सालों में 74 हजार की कमी आई है। इससे सरकारी स्कूलों में नामांकन घट गया है। सत्र 2023 में नामांकन 3 लाख 91 हजार 13 और सत्र 2022 में नामांकन 4 लाख 23 हजार 279 रहा है। यानी सत्र 2023 में सरकारी स्कूलों के नामांकन में 32 हजार 266 की कमी आई है। जिले में बढ़े गत सत्रों के नामांकन को जिला शिक्षा विभाग नहीं बचा सका है। यह सरकारी सिस्टम और शिक्षण व्यवस्था की पोल खोल रहा है।

तीन साल बढ़ा नामांकन फिर कम हो गया, प्राइवेट स्कूलों का थामा दामन: कोरोना काल के बाद सत्र 2020 से लेकर 2022 तक सरकारी स्कूलों के नामांकन में बढ़ोत्तरी हुई। उसके बाद सत्र 2023 में नामांकन में कमी आ गई। इसमें सत्र 2020 में 4 लाख 65 हजार 11 विद्यार्थी, सत्र 2021 में 4 लाख 16 हजार 822 व सत्र 2022 में 4 लाख 23 हजार 279 और वर्तमान में संचालित सत्र 2023 में 3 लाख 91 हजार 13 विद्यार्थियों ने नामांकन किया। वहीं, सत्र 2022 के बाद अभिभावकों ने जिले में संचालित प्राइवेट स्कूलों का दामन थाम लिया। इससे सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में कमी आ गई।

यह रहा कारण: सरकारी स्कूलों के नामांकन में कमी के कई कारण सामने आ आए हैं। इसमें सरकारी स्कूलों में शैक्षिक और गैर शैक्षणिक पद रिक्त होने से समय पर कक्षाएं नहीं लगना। सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं समय पर विद्यार्थियों तक नहीं पहुंची। इसमें विद्यार्थियों की डे्रस, साइकिल, लैपटॉप और कई प्रकार की योजना शामिल हैं। प्रवेशोत्सव के दौरान शिक्षकों का सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार में लग जाना। साथ ही हिंदी माध्यम के स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने पर शिक्षकों का टोटा।


एक्सपर्ट व्यू
शिक्षाविद् ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि कोरोना काल के दौरान सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से लेकर कक्षा 8 के विद्यार्थियों ने बिना टीसी के दाखिला लिया और एक साल पढ़ाई करने के बाद फिर से प्राइवेट स्कूलों में पलायन हो गए। साथ ही कोरोना के समय सरकारी और गैर सरकारी स्कूल बंद रहे। अब तक भी प्राइवेट स्कूल के संचालक विद्यार्थिायों की फीस को तरस रहे हैं। शिक्षाविद् लोकेश मिश्रा ने बताया कि कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद रहे। इस कारण अभिभावकों की ओर से सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को दाखिला दे दिया। क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में फीस देनी पड़ती। कोरोना की सामान्य स्थिति होने के बाद फिर से अभिभावकों ने अपने बच्चों का प्राइवेट में दाखिला दे दिया।

सरकारी स्कूलों में कोरोना काल के समय नामांकन में उछाल आया था, लेकिन अब कमी आई है। उस दौरान फीस के कारण छात्रों के दाखिले सरकारी स्कूलों में ज्यादा हुए थे।

रामेश्वर दयाल मीणा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी,

आंकड़े एक नजरसत्र छात्र छात्रा कुल विद्यार्थी

2023 178538 212471 391013

2022 197398 225880 423279

2021 195014 221798 416822

2020 222763 242242 465011