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बाला किला के बाद अब पर्यटक स्थल मूसी महारानी की छतरी को निखारने की कवायद शुरू, प्रस्ताव भेजा

प्रस्ताव में कैमरे भी लगेंगे, संगमरमर में आएगी चमक, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

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बाला किला के बाद अब पर्यटक स्थल मूसी महारानी की छतरी को निखारने की कवायद शुरू, प्रस्ताव भेजा

बाला किला के बाद अब पर्यटक स्थल मूसी महारानी की छतरी को निखारने की कवायद शुरू, प्रस्ताव भेजा


अलवर. शहर के पर्यटक स्थल बाला किला पर मरम्मत कार्य के बाद इसकी सुंदरता में चार चांद लग गए हैं, वहीं जिला मुख्यालय पर बनी रियासतकालीन पर्यटक स्थल मूसी महारानी की छतरी को नए रूप देने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो पुरातत्व विभाग इस पर काम करवाएगा। छतरी पर लगा धौलपुर का लाल पत्थर पहले से ज्यादा चमकदार दिखाई देगा, संगमरमर से बना हिस्सा भी पहले से ज्यादा चकमकदार दिखाई। यहां दिन में कैमरे से निगरानी व रात में लाइटों की रोशनी से यह छतरी पहले से ज्यादा सुंदर दिखाई देगी। माह में पर्यटक सीजन शुरु होने वाला है।
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से मूसी महारानी की छतरी पर करीब एक करोड़ रुपए की लागत से मरम्मत एवं जीर्णो ंदार कार्य करवाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर जयपुर मुख्यालय को भेजा गया है। इसमें मूसी महारानी की छतरी के टूटे हुए छज्जे, दीवारों से रिसता पानी, सीलन के अलावा अन्य मरम्मत कार्य करवाए जाएंगे। खासतौर से लाल पत्थर जिसे बंसी पत्थर कहा जाता हैं उसकी सफाई करवाई जाएगी।


पर्यटकों की पसंद है यह छतरी

गौरतलब है कि अलवर जिला मुख्यालय पर करीब एक दर्जन पर्यटक स्थल हैं। जहां सालभर पर्यटक आते हैं लेकिन सबसे ज्यादा पर्यटक मूसी महारानी की छतरी पर आते हैं क्योंकि यहां कोई शुल्क भी नहीं लगता है। पास में ही सागर जलाश और संग्रहालय होने के कारण यहां हर समय पर्यटक आते रहते हैं। मत्स्य उत्सव, राजस्थान दिवस , पर्यटन दिवस सहित अन्य आयोजनों के दौरान यहां कार्यक्रम होते हैं। यहां काम होने से पर्यटकों की संख्या बढ़ जाएगी। फिलहाल छतरी पर पेड़ पौधे उग आए हैं, लाइट खराब होने से अंधेरा रहता है। यहां साफ सफाई नहीं होती है। दीवारों से बारिश के दिनों में पानी रिसता है।

मूसी रानी की स्मृति में करवाया छतरी का निर्माण
मूसी महारानी की छतरी पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की संरक्षित इमारतों में शामिल है। यह ऐतिहासिक इमारत है। इसका निर्माण पूर्व महाराजा विनय ङ्क्षसह ने पूर्व महाराजा बख्तावर ङ्क्षसह की रानी मूसी की स्मृति में करवाया था। यह राजपूत कालीन स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना हैं। यह 84 खंभों की छतरी के नाम से जानी जाती है। छतरी के ऊपरी भाग में राम व कृष्ण आदि देवी देवताओं के चित्र बने हुए हैं। इसकी सुंदरता के चलते पर्यटक यहां फोटो और सेल्फी के साथ यादें लेकर लौट रहे हैं।

प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय भेजा
&मूसी महारानी की छतरी पर एक करोड़ रुपए का काम करवाए जाने का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय को भेजा हैं । पिछले काफी समय से इसकी जरुरत महसूस की जा रही थी। मंजूरी मिलने के बाद टेंडर होगा और काम शुरु कर दिया जाएगा। इसके पहले विभाग ने बाला किला पर भी काम करवाया है।
प्रतिभा यादव,
संग्रहालयाध्यक्ष, अलवर।