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अलवर न्यूज: अवरोधक नहीं होते तो 2009 की तरह जयसमंद बांध हो जाता लबालब, सिलीसेढ़ झील की तरह चल जाती चादर

बाराबियर रूपारेल के पश्चिमी 45 फीट चौड़े बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर पानी बहाव क्षेत्र का घोटा गला। प्रशासन बेखबर, नदी का क्षेत्र 2.1500 हैक्टेयर, लोगों के कब्जे से सिकुडा। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी निरीक्षण भी कर चुके, लेकिन पश्चिम दिशा का अतिक्रमण किसी को भी नजर नहीं आया

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अलवर. जिले में मालाखेड़ा उपखंड के पास नटनी का बारा रूपारेल नदी से इस बार भरतपुर की ओर तो अधिक मात्रा में बारिश का पानी गया, लेकिन उससे कम मात्रा में जयसमंद बांध की ओर पानी पहुंच पाया है। जिसका मुख्य कारण इस नदी के पश्चिम की तरफ नदी बहाव क्षेत्र में मिट्टी डालकर अतिक्रमण कर संकुचित कर दिया। आरोप है कि लोगों ने अपने खेतो का रकबा बढ़ा लिया और जयसमंद बांध में जाने वाले पानी के बहाव क्षेत्र का गला घोट दिया।

बाराबियर के नीचे तेज बहाव का रुख सीधा भरतपुर की ओर जाने वाले नदी में है। पहाड़ के पास बहता हुआ पानी उस तरफ ज्यादा जा रहा है। नदी बाहव में मिट्टी डालकर संकुलित कर देने पर प्रशासन, जल संसाधन, व राजस्व विभाग मौन हैं। केवल रूपारेल नदी के आगे का अतिक्रमण ही उनको नजर आ रहा है। पश्चिम की तरफ बहाव क्षेत्र की नदी की चौड़ाई जहां पहले 45 फीट होती थी, वहां मिट्टी डालकर उसको 20 फीट ही कर दिया, जिसके चलते जयसमंद की ओर पानी का वेग कम रहता है। बारिश होने पर नदी में तेज अधिक वेग से पानी भरतपुर की ओर रूपारेल में जाता है।

मानसून से पहले नहीं किया सीमाज्ञान

लोगों का आरोप है कि मानसून शुरू होने से पहले पश्चिम दिशा के नदी के बहाव क्षेत्र भूमि का सीमा ज्ञान और निशान देही करने के साथ ही अतिक्रमण हटाया गया होता तो इस बार जयसमंद बांध सन 2009 की तरह लबालब हो जाता। उसकी चादर सिलीसेढ झील की तरह चल जाती। राजस्थान सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, कलक्टर, उपखंड अधिकारी, अलवर प्रभारी सचिव, जल संसाधन विभाग के अधिकारी आदि इस बाराबियर रूपारेल का निरीक्षण भी कर चुके, लेकिन पश्चिम दिशा का अतिक्रमण किसी भी अधिकारी कर्मचारी को नजर नहीं आया।

बहाव क्षेत्र 45 फीट चौड़ा था, अब केवल 20 से 25 फीट कर दिया

राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार नजरी नक्शा में रियासतकाल समय में इस नदी का बहाव क्षेत्र 45 फीट चौड़ा था, जो अब केवल 20 से 25 फीट कर दिया। राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक इस नदी के बहने का क्षेत्रफल 2.1500 हैक्टेयर है। जहां अब अतिक्रमण कर इसके पाट को संकुचित कर दिया। जिसके एक मुहाने पर पहाड़ी क्षेत्र और दूसरे मुहाने पर खातेदारी के कुछ खेत हैं। इसके पेटे की निशानदेही पैमाइश होने से नदी के बहाव क्षेत्र को हो रहे खतरे और घोट रहे गले से निजात मिल सकती है। मामले में एसडीओ प्रतीक चंद्रशेखर जूईकर का कहना है कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, नायब तहसीलदार से मौके की रिपोर्ट तलब की जाएगी। जिससे सब कुछ साफ होने पर आगे की प्रक्रिया निर्धारित की जा सकेगी।