ठगबाजी का ये तरीका आम हुआ तो ठगों ने ओएलएक्स को अपनाया और उस पर गाड़ी बेचने के नाम पर लोगों को लूट कर ठगबाजी करने लगे। ये तरीका भी जब पुराना हो गया तो अब ठगों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है, जो उनके लिए काफी कारगर साबित हो रहा है और उनके पकड़े जाने के चांस भी कम हो गए हैं। कोई एक दो मामलों में ही पुलिस कार्रवाई हो पाती है, बाकी के मामलों में या तो फरियादी ही चुप बैठ जाते हैं और कुछ में पुलिस टालमटोल कर अपना पल्ला झाड लेती है।
तरीका-1 ठगबाज सोशल अकाउंट को हैक कर उस अकाउंट वाले व्यक्ति के मित्रों को हॉस्पिटल में भर्ती होने की बात कह कर ऑनलाइन पैसे डालने के लिए कहते है। कई बार सामने वाला परेशानी को देख कर पैसे डाल देता हैं और बाद में जब उसे पता चलता है कि वो ठगबाजी का शिकार हो गया है। ऐसे मामलों में ठगबाजों ने पुलिस के बड़े अधिकारी, शिक्षा विभाग के लोगों सहित आमजन को भी नहीं छोड़ा। फिर भी पुलिस इन अपराधियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर सकी।
तरीका-2 इस तरीके में मैसेंजर ग्रुप पर किसी युवती के नाम की आई से फ्रेंड रिकवेस्ट भेजी जाती है, जिसे स्वीकार करने के बाद लडक़ी द्वारा वीडियो कॉल के माध्यम से कॉल की जाती है और कपड़े उतारते हुए या ऐसी कोई वीडियो दिखाते हुए सामने वाले को भी कपड़े उतारने के लिए कहा जाता है। वीडियो कॉल के दौरान उसका स्क्रीन वीडियो बना लिया जाता है और वीडियो को यूटयूब पर अपलोड करने सहित परिवारजनों को भेजने की धमकी देकर पैसे की मांग की जाती है। पैसे न देने पर उसे बदनाम करने की धमकी दी जाती है। कुछ लोग अपनी बदनामी के डर से पैसे डाल भी देते है और किसी को मामलें के बारे में शिकयत भी नही करते। और जो नहीं डालते उन्हें अगले दिन पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति की फेस बुक आईडी से मैसेज और कॉल करके धमकी दिलवाई जाती है। हाल ही में ऐसी वारदात का शिकार हुए एक युवा द्वारा नाम न छापने की शर्त पर मामलें को शेयर किया। हालांकि उसके द्वारा किसी भी प्रकार का पैसा ठगबाजों के खातों में नहीं डाला गया।
सोशल मीडिया का सर्तकता से करें उपयोग, सजगता ही बचाव एनईबी थाना प्रभारी एवं पूर्व जिला साइबर सैल प्रभारी विजेन्द्र सिंह बताते हैं कि ठगबाज पुरानी योजना के आम होने के कारण नए-नए ट्रेंड अपना रहे हैं। अब इनका शिकार सोशल मीडिया पर अधिकतर समय बिताने वाले युवा हैं। आजकल ठगबाज चैटिंग एप और डेटिंग एप सहित अन्य प्लेटफार्म से युवाओं तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। ये इंटरनेट कॉल या फर्जी नम्बरों से लोगों से बात करते हैं, जिसके कारण इनको पकडऩा थोड़ा मुश्किल हो जाता है। पुलिस और मीडिया द्वारा ऐसे मामलों में जागरूकता फैलाई जा रही है, परन्तु युवा फिर भी ऐसी ठगबाजी का शिकार हो रहे है।ऐसे में युवा सोशल मीडिया का उपयोग सकारात्मक रूप में करें। ऐसे लोगों से ही सम्पर्क में रहें, जो उनके परिचित हं और उनकी भी पुष्टि करें। अनभिज्ञ लोगों से अपनी प्राइवेसी सम्बन्धी बातें और दस्तावेज शेयर न करें।