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अलवर से एक कविता रोज: ‘स्वतंत्रता’ का अर्थ दूर है, लेखक- मेहताब सिंह अलवर

locationअलवरPublished: Sep 27, 2020 06:51:56 pm

Submitted by:

Lubhavan

‘स्वतंत्रता’ का अर्थ दूर है
 
‘स्वतंत्रता’ का अर्थ दूर हैबहुत अभी हमसे शब्द नहीं अनुभूति है यहना तोलो ‘फ्रीडम ‘से ‘स्व ‘का अर्थ ‘चेतना’होता ‘तंत्र ‘बना ‘शासन’ से

Alwar Se Ek Kavita Roj: Svatantrata ka arth door hai mehtab singh

अलवर से एक कविता रोज: ‘स्वतंत्रता’ का अर्थ दूर है, लेखक- मेहताब सिंह अलवर

अलवर से एक कविता रोज—

‘स्वतंत्रता’ का अर्थ दूर है

‘स्वतंत्रता’ का अर्थ दूर है
बहुत अभी हमसे
शब्द नहीं अनुभूति है यह
ना तोलो ‘फ्रीडम ‘से
‘स्व ‘का अर्थ ‘चेतना’होता
‘तंत्र ‘बना ‘शासन’ से
चेतनवान कभी कोई होता ‘शास्ता ‘बिन’ आसन’के
जिस स्वतंत्रता को हम जीते उस पर लाख बंदिशें
सच में ‘उच्छृंखलता’है यह जिसके छपते किस्से
‘स्व’ को कोई बिरला जाने
तब होता ‘स्वशासन ‘
‘स्वबोध’से बने आचरण
चाहे कहो अनुशासन
वर्तमान में जो चलता है
उस पर ‘भय’ भारी है
कोर्ट कचहरी,पुलिस पाबंदी फिर भी लाचारी है।

मेहताब सिंह

( शिक्षाविद एवं साहित्यकार )
अलवर राजस्थान


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