मुंडावर उपखण्ड क्षेत्र के गांव जीवनसिंहपुरा निवासी 22 वर्षीय प्रदीप गुर्जर पुत्र माडाराम गुर्जर की सिक्किम में बर्फ के नीचे दबने से 11 मार्च को मृत्यु हो गई थी। प्रदीप की पार्थिव देह को पैतृक गांव जीवनसिंहपुरा (मुंडावर) पहुंचने में तीन से चार दिन का समय लग गया। तिरंगे में लिपटे प्रदीप के पार्थिव शरीर के सोमवार सुबह करीब 8.30 बजे गांव में पहुंचने पर उसके परिजन शोक में डूब गए। इस दौरान रास्ते में युवाओं ने शहीद प्रदीप अमर रहे, भारत माता की जय, इण्डियन आर्मी जिन्दाबाद के नारे लगाए। प्रदीप अमर रहे और भारत माता के जयकारों के बीच शहीद की अंतिम यात्रा निकाली गई। गांव में शहीद की पैतृक भूमि पर सैनिक सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। सेना के जवानों ने हवाई राउंड फायर चलाकर गार्ड ऑफ ऑनर देकर सलामी दी। शहीद प्रदीप के बड़े भाई संदीप छाबड़ी ने उन्हें मुखाग्नि दी।
जवान की पार्थिव देह पहुंचते ही हुई हर आंख नम शहीद प्रदीप गुर्जर के बड़े भाई संदीप छाबड़ी ने बताया कि 11 मार्च को गुरुवार दोपहर फोन के माध्यम से उन्हें प्रदीप के निधन का समाचार मिला। प्रदीप का शव लेकर पहुंचे राजसिंह सूबेदार ने बताया कि सिक्किम में ड्यूटी के दौरान बर्फ के नीचे दबने से प्रदीप की मौत हो गई। उसके शहीद होने की सूचना मिलते ही घर पर लोगों का तांता लग गया। हर कोई उसकी मौत से स्तब्ध था। सोमवार सुबह शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने पर लोगों की आंखें नम हो गईं।
छुट्टी खत्म कर चार माह पहले गया था ड्यूटी पर प्रदीप के पिता माड़ाराम गुर्जर बताते हैं कि बचपन से प्रदीप सेना में भर्ती होने की बात किया करता था। बीए फाइनल पढ़ाई करते हुए प्रदीप ने करीब ढाई साल पूर्व सेना ज्वाइन की। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उसकी पहली तैनाती पंजाब के अबोहर में हुई थी। करीब चार माह पहले छुट्टी खत्म होने पर प्रदीप सिक्किम में 25 राज राइफल में अपनी ड्यूटी पर चला गया। शहीद जवान प्रदीप गुर्जर एनसीसी कैडेट रहा था। युवाओं को खेल और सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करता था। इस दौरान विधायक मंजीत धर्मपाल चौधरी ने शहीद के स्मारक निर्माण के लिए चार लाख रुपए देने की घोषणा की। साथ ही शहीद के परिवार को राज्य व केंद्र सरकार से मिलने वाली सभी सहायताओं को जल्द से जल्द दिलवाने का आश्वासन दिया।