तीनों मासूम बेटियों की मौत के बाद पूरा परिवार और गांव सदमे में है। परिवार के लोगों की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे हैं। तीनों पौतियों के शवों को देख उनकी दादी मिश्रो देवी बार-बार एक ही बात कह रही थी कि हे भगवान…लारे-लारे मैं भी कूदी ही, पर मेरी लाडो ना बची रे।
दोपहर करीब 12 बजे मिश्रो देवी मनरेगा के तहत जोहड़ से मिट्टी खुदाई कर तकारी से पाल पर डाल रही थी। उसके साथ वहां पांच-छह अन्य मजदूर काम कर रहे थे। मिश्रो की तीनों पौती राधा, संगीता और रज्जो पास ही जोहड़ में भरे बरसाती पानी में नहा रही थी। अचानक अपनी आंखों के सामने तीनों पौतियों को जोहड़ में डूबते देख दादी मिश्रो सिर पर रखी तकारी फेंक दी और कोई बचाओ रे…कोई तो बचाओ रे चिल्लाती हुई जोहड़ की तरफ दौड़ी।
आसपास कोई मदद नजर नहीं आने पर मिश्रो ने अपनी जान की परवाह किए बगैर पौतियों को बचाने के लिए जोहड़ में छलांग लगा दी। जबकि मिश्रो देवी को तैरना नहीं आता। पौतियों को बचाने के प्रयास में वह भी जोहड़ में डूबने लगी। आसपास काम कर रहे मजदूर और पशु चरा रहे ग्रामीण दौडकऱ जोहड़ के किनारे पहुंचे। एक चरवाहे ने लकड़ी के हाथ में थमाकर मिश्रो देवी को जोहड़ में डूबने से बचाते हुए बाहर निकाल लिया।
बच्चियों को बचाने जोहड़ में कूदे 20-25 लोग घटना का शोर मचते ही कीरो की ढाणी व आसपास के ग्रामीण दौडकऱ जोहड़ पर पहुंचे। करीब 20 से 25 ग्रामीण बालिकाओं को बचाने के लिए जोहड़ में कूद गए। ग्रामीणों ने पानी में तलाश कर तीनों बालिकाओं को बाहर निकाल लिया था, लेकिन जब तक बालिकाओं की मौत हो चुकी थी।
दो भाइयों के थी तीन बेटियां, तीनों की मौत मिश्रो देवी के परिवार में उसके बेटे गंगाराम कीर के दो पुत्री और एक पुत्र तथा दूसरे बेटे मोहरसिंह के एक पुत्री और दो पुत्र थे। शनिवार को हुए हादसे में गंगाराम की दोनों और मोहरसिंह की एक पुत्री की जोहड़ में डूबने से मौत हो गई। इस घटना ने परिवार से तीनों बेटियों को छीन लिया। हादसे के बाद बालिकाओं की मांओं का रो-रोकर बुरा हाल है।