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पांच लाख जनता की जीवन रेखा पर अतिक्रमण का फंदा

अतिक्रमण के चलते पांच लाख से ज्यादा लोगों की लाइफ लाइन बने जयसमंद बांध का गला घुट गया है, वहीं बारिश के कम होते आंकड़े ने भी कोढ़ में खाज का काम किया है। यही कारण है कि करीब दो दशक से यह बांघ लबालब नहीं हो सका। अंतिम बार 2003 में बांध पानी से भर पाया था।अलवर से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर िस्थत ऐतिहासिक जयसमंद बांध दशकाें तक लबालब हो अलवर शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के दर्जनों गांवों की प्यास बुझाता रहा है।

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पांच लाख जनता की जीवन रेखा पर अतिक्रमण का फंदा

पांच लाख जनता की जीवन रेखा पर अतिक्रमण का फंदा

पांच लाख जनता की जीवन रेखा पर अतिक्रमण का फंदा
- 2003 के बाद अब तक नहीं भर सका, 1984 के बाद चार बार भी लबालब हो सका

- सरिस्का की बारिश पर टिका बांध का भविष्य, एक हजार एमएम बारिश हुई तो खूब आया पानी

प्रेम पाठक

अलवर. अतिक्रमण के चलते पांच लाख से ज्यादा लोगों की लाइफ लाइन बने जयसमंद बांध का गला घुट गया है, वहीं बारिश के कम होते आंकड़े ने भी कोढ़ में खाज का काम किया है। यही कारण है कि करीब दो दशक से यह बांघ लबालब नहीं हो सका। अंतिम बार 2003 में बांध पानी से भर पाया था।अलवर से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर िस्थत ऐतिहासिक जयसमंद बांध दशकाें तक लबालब हो अलवर शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के दर्जनों गांवों की प्यास बुझाता रहा है। जयसमंद बांध अलवर जिले की खुशहाली का भी प्रतीक रहा है। कारण है कि जब-जब बांध पानी से लबालब हुआ, जिला मुख्यालय को पेयजल संकट से छुटकारा मिला। साथ ही भूजल स्तर बढ़ने से आसपास के गांवों में फसल भी लहलहाई।

बांध में पानी की दो राह

जयसमंद बांध में पानी की आवक दो जगह से होती है। इनमें पहली सिलीसेढ़ झील की ऊपरा चलने से बहने वाला पानी राह बनाता हुआ सीधे जयसमंद बांध में पहुंचता है। वहीं नटनी का बारा से अलवर के हिस्से का पानी सीधे कच्ची नहर में होकर जयसमंद बांध में पहुंचता है। इसके अलावा बारिश होने पर आसपास के पहाड़ों से भी पानी बांध तक पहुंचता रहा है।

थानागाजी में हुई अच्छी बारिश तो बांध भरा

जयसमंद बांध का भराव थानागाजी की बारिश पर आश्रित है। थानागाजी क्षेत्र में वर्ष 1985 में 731 मिमी, 1995 में 1102 मिमी, 1996 में 1272 मिमी तथा 2003 में 896 मिमी बारिश हुई। जयसमंद बांध भी 1984 के बाद चार बार ही भर पाया। इसमें 1985, 95, 96 व 2003 में बांध पानी से ओवर फ्लो हुआ। इसके बाद थानागाजी क्षेत्र में बारिश का औसत कम रहा, जिससे जयसमंद बांध में पानी की आवक नहीं हो सकी। इस साल थानागाजी में अब तक करीब 488 मिमी ही बारिश हो पाई है, इस कारण जयसमंद बांध सूखा ही दिखाई पड़ता है।

सिलीसेढ़ झील में भी दो बार ओवरफ्लो

सिलीसेढ़ बांध में भी दो बार ही ओवरफ्लो हुआ है। इसमें एक बार 27 फीट 9 इंच तथा दूसरी बार 25 फीट 10 इंच पानी आया। वहीं नटनी का बारा में साढ़े सात फीट व 10 फीट की चादर चली। जबकि इस साल नटनी का बारा में मात्र तीन दिन एक फीट पानी चला। इसमें गत 30 जून को एक फीट की चादर चली।

अतिक्रमण से थमी पानी की आवककरीब दो दशक से जयसमंद बांध का पानी से लबालब नहीं होने का बड़ा कारण इसके पानी की आवक वाले रास्तों एवं पेटा काश्त में बहुतायत में अतिक्रमण होना है। सिलीसेढ़ से जयसमंद के बीच पानी के रास्ते में कई जगह कच्चे व पक्के अतिक्रमण ने पानी की राह रोक दी। इसी तरह नटनी का बारा से जयसमंद बांध के बीच भी अतिक्रमण के कांटे कम नहीं है।

अलवर के लिए जरूरी है बांध का पुनर्जीवन

अलवर शहर एवं आसपास के गांवों के लिए जयसमंद बांध काे पुनर्जीवित करना जरूरी है। इसका कारण है जयसमंद बांध के भरने से आसपास के क्षेत्र में भूजल स्तर में तेजी से वृदि्ध होगी। इससे अलवर शहर को मिलने वाले पानी की मात्रा बढ़ेगी और पेयजल संकट से निजात मिलेगी। अलवर शहर को पानी की सप्लाई के लिए ज्यादातर ट्यूबवैल जयसमंद बांघ के आसपास के क्षेत्र में ही लगे हैं। बांध के सूखे होने से यहां भूजल स्तर गिरकर 900 फीट से ज्यादा पहुंच गया है। इसका ताजा उदाहरण है कि पिछले दिनों जलदाय विभाग की ओर से जयसमंद बांध क्षेत्र में खोदे गए ट्यूबवैल करीब 850 फीट खोदने के बाद भी पानी नहीं आया।

बाधाएं होंगी दूरजयसमंद बांध में पानी पहुंचने की राह में आ रही बाधाएं जल्द दूर की जाएंगी। बांध को पुनर्जीवित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा।

संजय खत्री, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग अलवर