ये वर्तमान में एक कम्पनी में प्रोडक्शन इंजीनियर के रूप में काम करते हैं। इनका कहना है कि हैंडीक्राफ्ट के आइटम बनाकर उसमें इंजीनियरिंग की तकनीक से लाइटिंग आदि कर उससे और खूबसूरत बना दिया जाता है। लोगों के लिए भले ही कलाकार और इंजीनियर अलग व्यवसाय है। लेकिन उन्होंने दोनों को एक किया हुआ है।
वह बताते हैं कि सन 2005 में राजस्थान पत्रिका की ओर से लगाई गई पत्रिका पाई क्लास में उन्होंने सबसे पहले ऑयल पेंटिंग करना स्केचिंग बनाना सीखा। ज्यादातर लोग हॉबी क्लासेज में कुछ सीखने के बाद उसे बीच में छोड़ देते हैं । लेकिन गौतम ने ऐसा नहीं किया उन्होंने इस हॉबी को पूरा करने के लिए घर में रहकर हर दिन नया कुछ हैंडीक्राफ्ट बनाया।
सरिस्का पैलेस का मॉडल हुबहू सरिस्का पैलेस जैसा ही है। इसको बनाने के लिए प्लास्टिक शीट्स वुडन वॉल और एक क्रेडिट कलर का उपयोग किया गया है । 15 दिन में यह बनकर तैयार हुआ। इनका कहना है कि अलवर के संग्रहालय में ही सरिस्का का मॉडल है । यदि यह खराब हो जाता है तो हमारे पास अपनी आने वाली पीढ़ी को दिखाने के लिए कुछ नहीं है यही सोचकर इस मॉडल को तैयार किया है। इसके अलावा बीच हाउस ग्रामोफोन लैंप मोटरसाइकिल, विंटेज गन ,पेन स्टैंड सहित सैकड़ों आइटम है जो इनकी कला का परिचय देते हैं।