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राजस्थान का ये किला कभी था प्रदेश सीमा का प्रहरी, बाहरी आक्रमणों को रोकने में करता था मदद

कस्बे की आन, बान और शान किला वर्तमान में प्रशासन व संबंधित विभाग की लापरवाही के चलते बदहाल हो गया है। किले बुर्ज दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जगह जगह गदंगी के ढेर लगे हैं। किला अपना पुराना स्वरुप खो चुका है।

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अलवर

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Santosh Trivedi

Jul 22, 2022

Bansur Fort Of Rajasthan Is In Deteriorating Condition

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

राजस्थान के अलवर जिले के बानसूर कस्बे के मध्य स्थित किला कभी अलवर प्रदेश की सीमा का प्रहरी रहा है। कस्बे की आन, बान और शान किला वर्तमान में प्रशासन व संबंधित विभाग की लापरवाही के चलते बदहाल हो गया है। किले बुर्ज दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। जगह जगह गदंगी के ढेर लगे हैं। किला अपना पुराना स्वरुप खो चुका है।

लोगों की आस्था का केन्द्र है मंदिर
किले में मौजूद प्राचीन बावडी, कुआं सहित घोड़ों के अस्तबल सभी ऐतिहासिक वस्तुओं का नामों निशान मिट गया है। किले में मा मंशा का प्राचीन मंदिर है, जो कस्बे के लोगों की आस्था का केन्द्र है। मंदिर का जीर्णोद्धार कस्बेवासियों के सहयोग से मंदिर कमेटी ने किया। मंदिर पर नवरात्रों में मेला भरता है। वहीं किले में पुराना सीता राम मंदिर भी है। किला अपनी पौराणिक स्वरूप में फिर लौट सकता है। नगरपालिका चेयरमैर नीता सज्जन मिश्रा ने बताया कि किले की पुरानी धरोहर को लौटाने के लिए स्वायत शासन विभाग को पत्र लिखा गया। वहां से स्वीकृती मिलने के बाद देवस्थान विभाग से राशि स्वीकृत करवाकर किले को नया रुप देने का कार्य किया जाएगा।

बानसूर किले का इतिहास:
कस्बे के मध्य छोटी सी पहाड़ी पर मौजूद किले की संरचना बहुकोणात्मक है। सामरिक दृष्टि से किले का निर्माण 16वीं शताब्दी के उतरार्द्ध से लेकर 17 वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के मध्य हुआ था। यह किला प्राकृतिक छटा से युक्त प्राचीन किला है। जानकारों की मानें तो किले का निर्माण भरतपुर शासकों ने करवाया था।

पूर्व में अलवर रियासत भरतपुर के अधीन थी। ऐसे में जयपुर रियासत एवं भरतपुर रियासत के बीच आपसी मनमुटाव एवं युद्ध् की आशंका के चलते जयपुर एवं अलवर के बीच सीमा बानसूर थी। इस पर भरतपुर शासक ने बानसूर कस्बे की पहाड़ी पर किले का निर्माण करवाया, जो की बाहरी आक्रमणों को रोकने में मदद करता था। यह किला अलवर प्रदेश की सीमा के प्रहरी रहा है । वहीं इतिहासकार बृजपाल सिंह ने बताया कि किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में मदन सिंह चौहान जिन्होंने मुंडावर बसाया था। उन्हीं के वंशज उदयपाल सिंह बानसूर आए थे।