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Alwar News: गुटखा खा गया इकलौते बेटे की जिंदगी, बचाने के लिए 4 बीघा जमीन बेची; जानकर आपके भी छलक पड़ेंगे आंसू

Rajasthan News : कैंसर पीड़ित बेटे को बचान के लिए परिवार ने 50 लाख रुपए खर्च किए। इतना ही नहीं इलाज के लिए परिवार को 4 बीघा जमीन भी बेचनी पड़ी। इसके बाद भी इकलौते बेटे को गुटखा खाने के कारण...

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अलवर

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Anil Prajapat

Sep 05, 2024

Cancer patient suicide case

अलवर। राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में बुधवार तड़के कैंसर पीड़ित एक मरीज ने बाथरूम में फंदा लगा आत्महत्या कर ली। वह करीब पांच साल से कैंसर से पीड़ित था। अवसाद में आकर उसने अपनी जान दे दी। शहर कोतवाली थाने के एएसआई इलियास खां ने बताया कि कठूमर के टिटपुरी गांव निवासी अकरम खान (35) पुत्र आजाद खान को मंगलवार को परिजन ने अस्पताल में भर्ती कराया था।

कैंसर के कारण वह दर्द से कराहता रहता। बोल भी नहीं पा रहा था। खाने-पीने में भी परेशानी हो रही थी। बीमारी से परेशान होकर तड़के करीब 5 बजे वह अस्पताल के बाथरूम में गया और अपनी स्वापी से लोहे के पाइप पर फंदा डाल आत्महत्या कर ली। कुछ देर बाद जब दूसरा मरीज बाथरूम में गया, तो घटना का पता चला। परिजन ने बताया कि बीमारी से परेशान होकर अकरम ने आत्महत्या की है। परिजन ने पोस्टमार्टम कार्रवाई नहीं कराने के संबंध में लिखित में दिया। इसके बाद परिजन को शव सौंप दिया गया।

परिजन ने बताया कि अकरम गुटखा खाता था, जिसके कारण उसे जीभ का कैंसर हो गया। कैंसर बढ़ते-बढ़ते गले और फेफड़ों तक पहुंच गया। जिसका कई बार ऑपरेशन हो चुका था। उसे कई साल से खाने-पीने में परेशानी थी। पाइप के जरिए ही तरल पदार्थ देते थे। कुछ भी खाने-पीने पर उसे काफी दर्द होता था और वह दर्द से कराहने लगता। आखिरी स्टेज में वह बोल भी नहीं पाता था।

इकलौता बेटा था, इलाज के लिए बेची जमीन

अकरम अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। परिवार खेती-बाड़ी करता है। अकरम की 14 साल पहले शादी हुई थी। उसके दो बेटे हैं। अकरम के पिता के पास 15 बीघा जमीन थी। बेटे के इलाज में करीब 50 लाख रुपए खर्च हो गए। इलाज के लिए परिवार को 4 बीघा जमीन बेचनी पड़ी। अकरम का तीन साल पहले दिल्ली में ऑपरेशन हुआ। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भी इलाज चला। इसके अलावा अलवर और जयपुर के कई प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराया गया।

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एक्सपर्ट व्यू

कैंसर जैसी बीमारी का इलाज लम्बा चलता है। इस कारण अक्सर मरीज शारीरिक और मानसिक रूप से टूट जाता है। मरीज अवसाद में चला जाता है। ऐसी बीमारी से बचने के लिए गुटखा, तम्बाकू और शराब के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही मरीज के सामने परिजन उसकी बीमारी को लेकर भावनात्मक रूप से ज्यादा चर्चा न करें। घर-परिवार में सकारात्मक माहौल बनाकर रखें। ऐसे हालात मरीज को तनावमुक्त रहने के लिए योग, प्रणायाम और मॉर्निंग वॉक आदि जरूर करना चाहिए।
-डॉ. प्रियंका शर्मा, मनोचिकित्सक, सामान्य अस्पताल, अलवर


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