काफी प्रयास के बाद विश्वविद्यालय के लिए नया भवन बनना प्रस्तावित हुआ। वर्ष 2015 में इसका उद्घाटन हुआ। इसके लिए बाकायदा 27 करोड़ रुपए मंजूर हुए। निर्माण से पहले ले आउट प्लान बना। उसी के मुताबिक विश्वविद्यालय के भवन बनने थे। बताते हैं कि भवन के डिजाइन में कार्यदायी संस्था की ओर से बदलाव किया गया। हालांकि यह बिना अफसरों की अनुमति के संभव नहीं लग रहा लेकिन जो प्रशासनिक भवन बनकर तैयार हुआ है उसके नीचे भूमिगत तल बना है। उसी तल के चारों ओर की दीवार में दो इंच की जगह छूट गई है। यानी दीवारें अंदर की ओर भाग रही हैं, जिससे भवन के गिरने की संभावनाएं इंजीनियर बता रहे हैं। राजस्थान पत्रिका ने भवन का मौका मुआयना किया तो भवन की दीवारें जमीन छोड़ रही हैं। कई अन्य खामियां मिली हैं। इससे दूसरे भवनों की गुणवत्ता पर भी शक हो रहा है। कुछ इंजीनियर कहते हैं कि भवन की दोबारा गुणवत्ता परखी जाए तभी यहां विद्यार्थियों को बैठाया जाना चाहिए। कार्यदायी संस्था के एई आरके अरोड़ा से संपर्क किया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं किया।
बिना भवन की जांच के सीएम से करा लिया लोकार्पणसीएम अशोक गहलोत ने मिनी सचिवालय का लोकार्पण किया था। इसी के साथ विश्वविद्यालय के नए भवन का भी लोकार्पण करा लिया गया। जानकारों का कहना है कि पहले भवन की गुणवत्ता से लेकर तमाम चीजें देखी जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यही कारण है कि यहां भवन में दरार लगातार बढ़ रही है। अभी यहां कक्षाएं भी शुरू नहीं हुई हैं। इसका भी ये एक कारण माना जा सकता है।
फैक्ट फाइल
विश्वविद्यालय भवन : हल्दीना आकार : 200 बीघा लागत : 27 करोड़ संविधान पार्क निर्माण : ढाई करोड़ प्रशासनिक भवन व परीक्षा हॉल: 15 करोड़ भवन निर्माण पूरा : साढ़े सात साल
कार्यदायी एजेंसी : आरएसआरडीसी
विश्वविद्यालय का नया भवन मेरे कार्यकाल से पहले हैंडओवर हुआ है। दरारें आदि एक जगह दिखीं तो हमने इसका डिजाइन आदि देखा, जिसमें बदलाव किया गया है। यह कैसे हुआ, इसका जवाब तलाश रहे हैं। एजेंसी से जवाब मांगा गया है। साथ ही राज्यपाल को भी यह अवगत कराया गया है।
– प्रो शील सिंधु पांडेय, कुलपति, मत्स्य विश्वविद्यालय