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राजस्थान के इस शहर के बाजारों में सुबह से शाम तक 50 रूपए में 12 घंटे काम कर रहे बाल मजदूर, विभाग कर रहा अनदेखा

locationअलवरPublished: Nov 29, 2020 12:04:24 pm

Submitted by:

Lubhavan

सरकार की ओर से बाल मजदूरी को बंद करने के लिए तमाम दावे किए जाते हों, लेकिन बाजारों में रोज कई बाल मजदूर काम करते नजर आ रहे हैं।

Child Labour In Alwar City Main Market

राजस्थान के इस शहर के बाजारों में सुबह से शाम तक 50 रूपए में 12 घंटे काम कर रहे बाल मजदूर, विभाग कर रहा अनदेखा

अलवर. जिला मुख्यालय अलवर के बाजारों में सुबह से शाम तक बाल मजदूर दुकानों पर भारी भरकम काम करते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग इनको अनदेखा कर रहे हैं। संबंधित विभाग प्रतिवर्ष आने वाली 12 जून को बाल श्रमिक विरोधी दिवस मनाते हैं, लेकिन इसके बाद सब भूल जाते हैं।
आंकड़ों को पूरा करने की हो रही कार्रवाई

संबंधित विभाग जिला मुख्यालय पर कार्रवाई करने के बजाय अलवर शहर के बाहर के क्षेत्रों में काम करने वाले व्यापारी व दुकानदारों पर कार्रवाई कर आंकड़ों को पूरा करने की खानापूर्ति करने में जुटा है। अलवर शहर के बाजारों में लंबे समय से बाल श्रम रोकने की कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
यहां काम कर रहे हैं बाल श्रमिक

अलवर शहर के होप सर्कस, पंसारी बाजार, केडल गंज, चूड़ी मार्केट, त्रिपोलिया, वीर चौक, तिलक मार्केट अलकापुरी कॉम्प्लेक्स सहित शहर के मुख्य बाजारों में पंसारी की दुकान, कपड़े की दुकान, ऑटो पाट्र्स की दुकान, वेल्डिंग की दुकान पर 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे बाल श्रमिक के रूप में काम करते दिख जाते हैं। इसके साथ ही बख्तल की चौकी, देसूला, पुराना औद्योगिक क्षेत्र, एमआइए में भी बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं।
12 घंटे काम करने पर नहीं मिलता आराम

इन बच्चों को प्रतिदिन 50 रुपए दिए जाते हैं और 8 घंटे के बजाय 12 घंटे काम काम करवाया जाता है। ऐसे में यह बाल श्रमिक शिक्षा से भी वंचित रह जाते हैं। पहले गर्मियों के अवकाश के दौरान या फिर दीपावली के दौरान बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ जाती थी, लेकिन इस बार कोविड-19 के चलते सरकारी और निजी स्कूल बंद है। ऐसे में ज्यादातर बच्चे पेट भरने के लिए बाल श्रमिक के रूप में काम कर रहे हैं।
टास्क फोर्स की बैठक में होती है खानापूर्ति
अलवर जिले में बाल श्रम को रोकने के लिए

टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जिसकी बैठक 3 माह में एक बार होती है। लेकिन अलवर में यह बैठक कब होती है , इसका क्या इसका एजेंडा रहता है, इसके बारे में सम्बन्धित विभाग कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं करता है।
चाइल्डलाइन ,बाल कल्याण समिति, बाल संरक्षण इकाई , श्रम विभाग ,, मानव तस्कर विरोधी यूनिट,
समाज कल्याण सहित अन्य विभाग बाल श्रमिक उन्मूलन और इनको मुख्यधारा से जोडऩे का जिम्मा है, लेकिन अलवर में बाल श्रम रोकने के प्रयास सीमित ही रहे हैं।
सजा और जुर्माने का है प्रावधान

14 साल से कम उम्र की आयु का कोई भी बच्चा काम करता हुआ पाया जाता है तो वह बाल श्रम है। इसके साथ ही 14 से 18 साल तक की उम्र में यदि कोई बच्चा खतरनाक काम करता है तो वह भी बाल श्रम की श्रेणी में आता है। बाल श्रमिक से काम कराने पर संबंधित दुकानदार या व्यापारी को 3 माह की सजा और 20 हजार रुपए तक जुर्माना हो सकता है।
बाल श्रमिक परियोजना के अधिकारी होंगे शामिल

बाल श्रम को रोकने के लिए अभी तक कुछ विभागों की संयुक्त टीम ही काम कर रही थी लेकिन संबंधित विभागों में सामंजस्य नहीं होने के कारण बाल श्रम पर रोक नहीं लग पा रही है। इधर राज्य सरकार ने इस वर्ष बाल श्रमिक परियोजना इकाई को भी इस टीम में शामिल कर लिया है। जिससे कि शहर में मिलने वाले बाल श्रमिकों को शिक्षा से जोड़ा जा सके।
अलवर शहर में हुई कार्रवाई

बाल श्रम रोकने की कार्रवाई कई विभागों के संयुक्त तत्वावधान में होती है। बाल श्रमिक को पकडऩे से पूर्व क्षेत्र की रेकी की जाती है इसके बाद कार्रवाई होती है। पूर्व में शहर में बाल श्रमिक पकडऩे की कार्रवाई की गई है। यदि कोई सूचना मिलती है तो शहर के बाजारों में भी कार्रवाई की जाएगी।
बीएल वर्मा, बाल श्रमिक परियोजना अधिकारी अलवर

समय-समय पर की जाती है कार्रवाई

बाल श्रमिकों को पकडऩे के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है। अबकी बार कोविड-19 के चलते कार्रवाई कम हो पाई है। छुड़ाए गए बाल श्रमिकों को बाल कल्याण समिति के निर्देश पर घरों को भेजा जाता है। माता-पिता से शपथ पत्र लिया जाता है कि फिर से बाल श्रम नहीं करवाएंगे इसके बाद ही छोड़ा जाता है।
मुकेश पोसवाल, समन्वयक ,चाइल्डलाइन
एक साल में 18 बाल श्रमिकों को कराया मुक्त

बाल श्रम रोकने के लिए समय-समय पर कार्रवाई की जा रही है । अलवर जिले में पिछले एक साल में तीन कार्रवाई की गई है। जिसमें 18 बार श्रमिकों को मुक्त करवाया गया है। यह कार्रवाई अलवर और किशनगढ़ क्षेत्र में की गई है। ज्यादातर बच्चे ढाबे पर काम करते हुए पाए गए। इन बच्चों को बाल आश्रय गृह में भेजा जाता है।
चतुर्भुज यदुवंशी, अध्यक्ष ,बाल कल्याण समिति अलवर

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