
राजस्थान से गुजरने वाले सबसे बड़े हाइवे प्रोजेक्ट को लेकर आई बड़ी खबर, हरियाणा की तुलना में पिछड़ा राजस्थान
अलवर. Delhi-Vadodara Expres Way In Rajasthan : राजस्थान के कई जिलों से निकलने वाले पहले आठ लेन ( Delhi-Vadodara Expres Way ) दिल्ली-बडोदरा एक्सप्रेस हाइवे (एनएच-148 एन) निर्माण में हरियाणा की तुलना में राजस्थान पिछड़ा साबित हुआ है। एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए जिला प्रशासन अभी तक न तो किसानों को मुआवजे का वितरण कर सका है और न ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को जमीन का भौतिक कब्जा संभलवा सका है। इस कारण राजस्थान के हिस्से में एक्सप्रेस वे को निर्माण अभी शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि गत छह माह में प्रदेश के मुख्य सचिव एक्सप्रेस वे के जल्द निर्माण के लिए अब तक जिला प्रशासन, एनएचएआई के साथ चार बैठकें कर चुके हैं, वहीं कई बार वीडियो कॉफ्रेंसिग में किसानों को मुआवजे का जल्द वितरण कर निर्माण एजेंसी को जमीन का कब्जा सौंपने के निर्देश भी दे चुके हैं। दिल्ली-बडोडरा एक्सप्रेस वे का निर्माण दो साल में पूरा किया जाना है। जबकि निर्माण एजेंसी को अभी तक जमीन ही नहीं मिल पाई है।
अलवर जिले की तीन तहसीलों के 52 गांवों में 68 किलोमीटर एक्सप्रेस वे का निर्माण कराया जाना है। दिल्ली से अलवर होते दौसा तक 31 फेज में बनने वाला यह एक्सप्रेस वे सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसके बाद भी प्रदेश में एक्सप्रेस वे निर्माण अब तक शुरू नहीं हो सका है। जबकि हरियाणा में एक्सप्रेस वे का निर्माण तेजी पर है।
किसानों को अभी 80 करोड़ मुआवजा
एक्सप्रेस वे जिले की रामगढ़, लक्ष्मणगढ़ व रैणी तहसील से गुजरेगा। इसमें रामगढ़ के 8 गांवों में 56.16, लक्ष्मणगढ़ के 24 गांवों में 126.32 व रैणी के 20 गांवों में 48.01 करोड़ राशि के मुआवजे का वितरण किया जाना है, जबकि अब तक रामगढ़ में मात्र 5.47, लक्ष्मणगढ़ में 64.43 व रैणी तहसीलों में 2.78 करोड़ से कुछ ज्यादा मतलब कुल 80 करोड़ राशि का मुआवजा ही वितरित हो पाया है। जबकि गत 28 जून को मुख्य सचिव ने बैठक में जिला कलक्टर को 15 अगस्त तक मुआवजा राशि का वितरण कर जमीन का कब्जा सौंपने के निर्देश दिए थे।
इसलिए हो रही मुआवजा में देरी
किसानों को मुआवजा वितरण में देरी का कारण रामगढ़ तहसील के चार गांव मूनपुर करमला, रसगण, खुशपुरी और इंदपुर के किसानों की ओर से मुआवजा दर निर्धारण को लेकर आंदोलन रहा है। इन गांवों के किसानों को हरियाणा के फिरोजपुर झिरका की दर से मुआवजा निर्धारित किया गया है, जबकि किसान समीपवर्ती अलवर नगर परिषद की लिमिट के आधार पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
दो कम्पनियों से अनुबंध
एनएचएआई ने अलवर जिले में एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए दो अलग-अलग कम्पनियों से अनुबंध किया। इसमें पैकेज- 4 के लिए एचजी इन्फ्रा से गत एक अगस्त व पैकेज-6 के लिए गत तीन अगस्त को केसीसी बिल्डकॉन प्रालि. से करार किया है। दोनों ही एजेंसियों को करार से 30 दिन में 90 प्रतिशत जमीन का भौतिक कब्जा सौंपना था, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
ट्रिब्यूनल करेगा समस्या का निराकरण
जमीन के मुआवजे की दर निर्धारण या आंकलन में किसी भी प्रकार की समस्या के निराकरण के लिए किसान ट्रिब्यूनल में अपना पक्ष रख सकते हैं। ट्रिब्यूनल मुआवजा निर्धारण की समस्या का निराकरण करेगा।
दो निर्माण कम्पनियों से अनुबंध किया
अलवर जिला प्रशासन की ओर से अधिग्रहित जमीन का भौतिक कब्जा मिलने का इंतजार है। एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए दो निर्माण कम्पनियों से अनुबंध किया जा चुका है, उन्हें अनुबंध के 30 दिनों में अधिग्रहित जमीन का 90 प्रतिशत हिस्सा सौंपना था।
सुरेश कुमार, परियोजना निदेशक एनएचएआई अलवर जोन
जल्द शुरू होगा निर्माण
किसानों को मुआवजा वितरण में कोई समस्या नहीं है, अब तक 80 करोड़ से ज्यादा राशि का वितरण हो चुका है। मुआवजे को लेकर किसानों को कोई परेशानी है तो वे ट्रिब्यूनल में जा सकते हैं। जल्द ही लक्ष्मणगढ़ तहसील में एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य शुरू होगा।
इंद्रजीत सिंह, जिला कलक्टर अलवर
Published on:
07 Oct 2019 03:19 pm
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