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ठहर गया विकास

अलवर. नगर विकास न्यास, (यूआईटी) पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहर को पहचान दिलाने व आमजन की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट के प्लान बनाए लेकिन अब तक ये धरातल पर नजर नहीं आए। यूआईटी के खजाने में 40 करोड़ से अधिक रकम है। अन्य विभागों के पास भी करोड़ों रुपए हैं। हर माह विभागों के पास रकम बढ़ ही रही है। ऐसे में ये रकम विकास कार्यों पर लगती तो जनता को सहूलियत होती। जनता बाट जोह रही है कि कब ये विकास कार्य होंगे और उनकी राह आसान होगी।

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अलवर

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susheel kumar

Sep 26, 2023

ठहर गया विकास

ठहर गया विकास

40 करोड़ से ज्यादा रकम खजाने में, शहर को पहचान दिलाने वाले बड़े प्रोजेक्ट ठप

- दो अंडरपास नहीं बन पाए, कन्वेंशन सेंटर अधर में, एलिवेटेड रोड भी बना सपना

- यूआईटी का नया कार्यालय भी नहीं बन पाया, कंपनी बाग की पार्किंग भी नहीं बनी
अलवर. नगर विकास न्यास, (यूआईटी) पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य विभाग की ओर से शहर को पहचान दिलाने व आमजन की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए कई बड़े प्रोजेक्ट के प्लान बनाए लेकिन अब तक ये धरातल पर नजर नहीं आए। यूआईटी के खजाने में 40 करोड़ से अधिक रकम है। अन्य विभागों के पास भी करोड़ों रुपए हैं। हर माह विभागों के पास रकम बढ़ ही रही है। ऐसे में ये रकम विकास कार्यों पर लगती तो जनता को सहूलियत होती। जनता बाट जोह रही है कि कब ये विकास कार्य होंगे और उनकी राह आसान होगी।

अस्पतालों को जोड़ने वाला अंडरपास नहीं बन पाया
स्वास्थ्य विभाग ने करीब 10 माह पहले सामान्य अस्पताल को महिला अस्पताल से जोड़ने के लिए अंडरपास बनाने का प्लान बनाया था। इस पर करीब 6 करोड़ रुपए व्यय होने थे। कार्यदायी संस्था यूआईटी को काम दिया गया लेकिन अब ये अंडरपास अटका हुआ है। कभी तकनीकी कमेटी बनाई जा रही हैं तो कभी कोई इस अंडरपास की आवश्यकता पर सवाल उठा रहा है। कुछ चिकित्सक कहते हैं कि यदि साल में इस अंडरपास के जरिए एक भी मरीज की जान बच जाती है तो समझें कि प्रोजेक्ट पूरा है। ऐसे में अंडरपास बनना चाहिए।

स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट एलिवेटेड रोड अब सपना

जेल सर्किल से लेकर नंगली सर्किल तक वाहन ऊपर ही निकलें, इसके लिए एलिवेटेड रोड बनाने का प्रोजेक्ट 100 करोड़ का बना। सरकार को प्रस्ताव भेजा गया लेकिन अब तक पैसे नहीं निकले। जनता की राह देख रही है। गौरव पथ पर लगातार वाहनों का भार बढ़ रहा है। बहरोड़, तिजारा आदि जगहों से वाहन इस रास्ते से गुजरते हैं। ये स्मार्ट सिटी का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था।

कंपनी बाग की पार्किंग शायद ही बन पाए
त्योहारी सीजन में मुख्य बाजार में जाम से हजारों लोग प्रभावित होते हैं। वाहन बाजार जाते हैं। खड़ा करने के लिए पार्किंग नहीं है। इसी को देखते हुए कंपनी बाग में बेसमेंट पार्किंग का प्रस्ताव लाया गया। करीब 23 करोड़ रुपए में ये बननी थी। यहां करीब 200 वाहनों के खड़ा करने की व्यवस्था होनी थी। यूआईटी की ओर से टेंडर लगाया गया। एक बार सरकार ने निरस्त कर दिया तो दूसरी बार अब तक टेंडर नहीं हो पाया। इसमें भी कई पेंच लगा दिए गए। जानकार कहते हैं कि शायद ही ये बन पाए।

कन्वेंशन सेंटर कागजों तक सीमित
यूआईटी ने कई शहरों की तर्ज पर कन्वेंशन सेंटर का प्रस्ताव रखा था। इस पर 28 करोड़ रुपए खर्च होने थे। बहरोड़ मार्ग पर इसके लिए जगह देखी गई। इसके लिए दो भवन बनने थे। साथ ही दोनों को जोड़ने के लिए अंडरपास भी बनाया जाना था लेकिन ये प्रोजेक्ट भी अब कागजों में ही दिखता है। इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। यहां तमाम बड़े मेले लगते। उत्पादों को एक नई पहचान मिलती।

काली मोरी का अंडरपास रेंग रहा
पीडब्ल्यूडी की ओर से काली मोरी पर अंडरपास बनाया जाना था। करीब चार करोड़ रुपए पास किए गए। अब तक अंडरपास तैयार नहीं हो पाया। आए दिन कोई न कोई पेंच लग रहा है। अब रेलवे से ब्लॉक मिले तो अंडरपास बने। पीडब्ल्यूडी का तर्क है कि उनकी तैयारी पूरी है। इसकी जरूरत सबसे अधिक है। हर दिन लोग जान की परवाह किए बिना रेलवे ट्रैक से गुजर रहे हैं।

यूआईटी का नया भवन अब भूल जाइये
यूआईटी की ओर से अपने नए भवन के लिए अंबेडकर नगर में जगह तय की गई थी। शहर के भगत सिंह पर चल रहे कार्यालय को यहां शिफ्ट करना था। करीब 25 करोड़ का ये प्रोजेक्ट था। उसके बाद जमीन शहर में भी भवन के लिए देखी गई। डिजाइन आदि भी बनकर तैयार हो गया लेकिन अभी तक कार्यालय की नींव नहीं रखी गई। नया कार्यालय बनता तो जनता बाहर नए कार्यालय में आती। शहर में भीड़ कम होती। जाम आदि की समस्या से निजात मिलती।