
जिलेभर में किडनी सम्बन्धित बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के लोगों में इसकी शिकायत मिल रही है। बीते सालों की तुलना में किडनी सम्बन्धित बीमारी के मरीजों की संख्या चार से पांच प्रतिशत बढ़ी है। सरकारी व निजी अस्पतालों में प्रतिदिन किडनी सम्बन्धित परेशानी के दो से तीन नए मरीज पहुंच रहे हैं।
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में अब तक किडनी के मरीजों की हुई जांच में पता चला है कि शरीर में मधुमेह व उच्च रक्तचाप बीमारी के लिए रास्ता तैयार कर रही है। इसके कारण 25 से 40 वर्ष उम्र वाले मरीज इस बीमारी से ग्रस्ति हो रहे हैं। इसमें तनाव भी प्रमुख कारण है। अस्पताल के आउट डोर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें बच्चों की संख्या भी अधिक है। इसका प्रमुख कारण जीवन शैली में होने वाला बदलाव भी है। डॉक्टरों व विशेषज्ञों की माने तो सुबह घूमना, योगा करना समय पर सोना सहित कई तरह की लोगों को सावधानी रखने की आवश्यकता है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
मधुमेह व उच्च रक्तचाप के चलते लोगों के किडनी सम्बन्धित शिकायतें बढ़ रही हैं। इस बीमारी को मधुमेह नैफरोपैनी कहते हैं। मधुमेह ज्यादा होने के चलते शरीर में रक्त फिल्टर होने की प्रक्रिया कम हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव किडनी पर पड़ता है।
डॉ. योगेश चौधरी, फिजीशियन
प्रतिदिन दो से तीन नए मधुमेह के मरीज मिल रहे हैं। जिन लोगों को लम्बे समय तक मधुमेह की शिकायत है व ऐसे लोग जो बीपी से परेशान हैं। उनको किडनी में परेशानी होने की शिकायत होती है। इसलिए लोगों को पूरा ध्यान रखना चाहिए। खानपान व दिनचर्या के लिए विशेषज्ञों की सलाह भी ले सकते हैं।
डॉ. जीएस सोलंकी, फिजीशियन
स्थानीय कारण भी है प्रमुख
सामान्य किडनी की बीमारी होने के बाद मरीज चिकित्सकों को दिखाने आते हैं तो इसके कारणों का पता न मरीज को चलता है न ही चिकित्सकों को। इसके कुछ स्थानीय कारण भी होते हैं। जैसे शहर के आसपास उगने वाली सब्जियों से किडनी पर नकारात्मक असर पड़ता है। इससे किडनी में स्टोन बनता है। यह मिट्टी व पानी की घटती उर्वरा शक्ति के कारण होता है।
Published on:
09 Mar 2018 05:06 pm
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