दीपावली पर इस गाय के गोबर से बने दीपक बाजार में उपलब्ध हैं। लोग इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं। मशीन से बने इन दीपकोंं की कीमत भी ज्यादा नहीं है।
दीपोत्सव: गोशालाओं में मशीन से तैयार हो रहे गोबर के दीपक
दीपावली पर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मिट्टी के दीपकों के साथ इस बार गाय के गोबर से बने दीपक भी बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। बाजार में इनकी मांग बढ़ती जा रही है। जिले की गोशालाओं में मशीन से गोबर के दीपक तैयार किए जा रहे हैं। इन दीपकों को दीपावली पर जलाया जाएगा। अलवर के बाजारों में इन दीपकों की कीमत भी ज्यादा नहीं है।
इको फ्रेंडली है गोबर से बने दीपक
गाय के गोबर से दीपक बना रही महिलाओं ने बताया कि मिट्टी के दीपक जलने के बाद किसी काम नहीं आते हैं और मंदिरों और चौराहों में व्यर्थ ही जाते हैं। इनके खराब होने पर कचरा भी फैलता है। इसलिए इस बार गाय के गोबर के दीपक बनाए गए हैं जो जलने के बाद भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने में काम आएंगे। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर के दीपक मशीन से तैयार किए जा रहे हैं। दीपक को सजाने के लिए सुंदर रंगों का प्रयोग किया गया है। जलने के बाद इनको किचिन गार्डन आदि में जैविक खाद के रूप में काम में लिया जा सकता है।
गिफ्ट पैक में मिल रहे हैं दीपक
शास्त्रों के अनुसार गाय के गोबर में लक्ष्मी का निवास माना जाता है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी दीपावली, देव उठनी एकादशी जैसे खास आयोजनों पर आंगन को मिटटी और गोबर से लीपा जाता है। गोबर के दीपक जलने के बाद जैविक खाद के रूप में उपयोग किए जा रहे हैं। इसके साथ ही इस बार उपहार में देने के लिए ही ये बहुत अधिक खरीदे जा रहे हैं। इसके लिए गिफ्ट पैक भी मिल रहे हैं।