उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शहर के युवा दूसरे देश विदेश में बस जाते हैं और अपने शहर को भूल जाते हैं, लेकिन डॉ. नूतन शर्मा ऐसे शख्स है, जिन्हें अपने गांव की माटी से बहुत प्यार है।
अलवर। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शहर के युवा दूसरे देश विदेश में बस जाते हैं और अपने शहर को भूल जाते हैं, लेकिन डॉ. नूतन शर्मा ऐसे शख्स है, जिन्हें अपने गांव की माटी से बहुत प्यार है। इस माटी की खुशबू उनकी रग रग में बसी हुई है। ये हर साल अपने गांव आकर ग्रामीणों की बीमारियों का इलाज कर उनके दुख को दूर करते हैं। डॉ. नूतन अच्छे न्यूरो सर्जन में गिने जाते हैं। ये मुंबई के ख्याति प्राप्त बॉम्बे हॉस्पिटल में लंबे समय तक न्यूरो हैड रहे हैं। वर्तमान में मुंबई के सैफी अस्पताल में न्यूरो हैड है। रेडियो और आकाशवाणी पर अक्सर इनकी वार्ताएं होती है।
डॉ. शर्मा पिछले एक दशक से गांव आकर ग्रामीणों की चिकित्सकीय सेवा कर रहे हैं। मरीजों को खाना व दवाई निशुल्क देते हैं। इतना ही नहीं मुंबई में अलवर से जाने वाले रोगियों को प्राथमिकता देते हैं, उनको तुरंत उपचार दिलवाते हैं। न्यूरो संबंधी बीमारियों का ऑनलाइन परामर्श भी देते हैं। उनकी पत्नी डॉ. नीता भी उनके साथ मरीजों का इलाज करती हैं।
किशनगढ़बास के बास कृपाल नगर के रहने वाले शर्मा का बचपन अपने दादा के साथ बीता। दादा गंगाशरण शर्मा अध्यापक थे। दादी किशन देवी बचपन से ही चाहती थी कि पोता चिकित्सक बनकर ग्रामीणों की सेवा करें। गूदडी के इस लाल ने दादा-दादी के सपने को पूरा करने के लिए बचपन से ही पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू कर दिया। 17 साल तक गांव में रहकर पढ़ाई की ओर इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चले गए। पिता त्रिलोक चंद शर्मा व माता हेमलता शर्मा ने भी बेटे को चिकित्सक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।