21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जिला परिषद: आजादी के बाद पहली बार एसओजी इंस्पेक्टर की एंट्री

अलवर. जिला परिषद की ओर से लिपिक व शिक्षक पदों पर किए गए अपात्रों के चयन को लेकर स्पेशन ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने जांच शुरू कर दी है। एसओजी जयपुर इंस्पेक्टर जांच को यहां पहुंचे। उन्होंने परिषद के अधिकारियों से इसको लेकर बातचीत की। पक्ष जाना और बयान दर्ज किए। माना जा रहा है कि इस प्रकरण में कई अधिकारी व कर्मचारी लपेटे में आ सकते हैं। बताते हैं कि जिला परिषद के इतिहास में पहली बार एसओजी की एंट्री होने का मामला जिलेभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज तक एसओजी परिषद के गेट तक नहीं पहुंची।

3 min read
Google source verification

अलवर

image

susheel kumar

May 27, 2023

जिला परिषद: आजादी के बाद पहली बार एसओजी इंस्पेक्टर की एंट्री

जिला परिषद: आजादी के बाद पहली बार एसओजी इंस्पेक्टर की एंट्री

अलवर. जिला परिषद की ओर से लिपिक व शिक्षक पदों पर किए गए अपात्रों के चयन को लेकर स्पेशन ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने जांच शुरू कर दी है। एसओजी जयपुर इंस्पेक्टर जांच को यहां पहुंचे। उन्होंने परिषद के अधिकारियों से इसको लेकर बातचीत की। पक्ष जाना और बयान दर्ज किए। माना जा रहा है कि इस प्रकरण में कई अधिकारी व कर्मचारी लपेटे में आ सकते हैं। बताते हैं कि जिला परिषद के इतिहास में पहली बार एसओजी की एंट्री होने का मामला जिलेभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। आज तक एसओजी परिषद के गेट तक नहीं पहुंची। अब पहली बार ऐसा हुआ। एसओजी की जांच से कई अधिकारी व कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

वर्ष 2013 से लेकर 2022 तक शिक्षकों व लिपिकों की भर्तियां की गईं। इन्हीं में से छह केस ऐसे सामने आए जो परिषद को दाग लगा गए। हैरत की बात ये थी नौकरी पाने वाले कुछ लोगों ने अपनी सच्चाई कागजों में व्यक्त कर दी थी, बावजूद इसके उन्हें नौकरी दे दी गई। नौकरी पाने वालों की गलती इसमें नहीं थी। अफसरों ने अभिलेखों की जांच नहीं की और नौकरी दे दी। बाद में कुछ को नौकरी से हटा दिया। यह प्रकरण एसओजी के अतिरिक्त महानिदेशक जयपुर के पास पहुंचा तो उन्होंने इस पर जांच बैठा दी। आरोप लगाने वालों के बयान दर्ज किए गए। इसी क्रम में एसओजी इंस्पेक्टर सुरेश कुमार जांच के लिए परिषद पहुंचे। उन्होंने कार्यवाहक सीईओ रहीं (वर्तमान में एसीईओ) रेखा रानी व्यास से बात की। भर्तियों से जुड़े अभिलेखों को लेकर तथ्य आदि मांगे। साथ ही बयान भी लिए। इस संबंध में एसीईओ से संपर्क किया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं किया।

ये हैं केस

- वर्ष 2018 में अभ्यर्थी सुमन कौर तृतीय श्रेणी अध्यापिका के पद पर जिला परिषद की ओर से नियुक्त हुईं। नियुक्ति के समय सुमन ने संतान संबंधी घोषणा पत्र में साफ-साफ तीन संतानों का जिक्र किया। इसके बाद भी उन्हें नौकरी पर रखा और बाद में शिकायत हुई तो उन्हें वर्ष 2021 में बर्खास्त कर दिया गया।

- वर्ष 2017 में अध्यापक कमल सिंह को परिषद की ओर से शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी। कमल सिंह की शैक्षणिक योग्यता की डिग्री वर्ष 2014 में प्राप्त हुई जबकि आवेदन इससे 2 वर्ष पूर्व 2012 में किया गया। उन्हें तीन स्तर पर दस्तावेज सत्यापन कराने के बाद नौकरी दे दी गई। पांच साल बाद गड़बड़ी पकड़ में आने पर वर्ष 2022 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। हालांकि कमल सिंह को कोर्ट से स्टे मिला हुआ है।
- वर्ष 2022 में कनिष्ठ लिपिक भर्ती 2013 के अंतर्गत 52 वर्षीय रुकमणी नंदन शर्मा को लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। कई स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन किया गया लेकिन 5 महीने बाद जिला परिषद ने ही अभ्यर्थी को ओवरऐज बताकर वर्ष 2023 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया जबकि जिला परिषद ने नियुक्ति आदेश में साफ-साफ रुकमणी नंदन शर्मा की जन्म तिथि अंकित की थी।

- पांच महीने पहले नवंबर 2022 में परिषद की ओर से प्रमिला देवी को कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति दी गई। नियुक्ति सामान्य विधवा महिला कोटे के तहत दी गई जबकि महिला के अंक सामान्य विधवा महिला के कटऑफ अंकों से कम थे। इस प्रकरण में परिषद के अधिकारियों ने न्यायालय में भी रिपोर्ट देकर प्रमिला देवी को नौकरी नहीं दिए जाने की बात कही थी लेकिन इसके एक महीने बाद ही नौकरी दे दी गई।
- शिक्षक भर्ती 2013 के तहत पात्र अभ्यर्थी योगेंन्द्री यादव को नौकरी नहीं दी गई जबकि कम अंक वाले अभ्यर्थी को नौकरी दे दी गई। कई साल कोर्ट में केस चलने के बाद अब मार्च 2023 में पात्र अभ्यर्थी योगेंद्री यादव को सरकार ने एक अतिरिक्त छाया पद स्वीकृत करके नौकरी दी है। कम अंक वाला अभ्यर्थी भी नौकरी में बना हुआ है। हालांकि वह भी कोर्ट के एक नियम के तहत है लेकिन परिषद ने इसमें भी बड़ी लापरवाही बरती।

भर्तियों को लेकर की गई शिकायत की जांच के लिए मैं जिला परिषद की एसीईओ से मिला था। इस प्रकरण से जुड़े अभिलेख मांगे थे। साथ ही उनके बयान आदि दर्ज किए हैं। जल्द ही फाइनल रिपोर्ट सामने आएगी।

--- सुरेश कुमार, इंस्पेक्टर एसओजी जयपुर