
यहां हर काम आसान, तभी तो जिला परिषद है नाम
जिला परिषद का कमाल, हाईकोर्ट में जिसे बताया अपात्र उसी महिला को एक माह बाद बना दिया क्लर्क
- महिला ने ओबीसी विधवा कोटे से भरा था आवेदन, उसी कोटे से नियुक्ति दिया जाना दिखाया लेकिन दूसरे पत्र में सामान्य श्रेणी से नौकरी देना दर्शाया
- ये प्रकरण पहुंचा सरकार के पास, कहा, पात्र अभ्यर्थियों को हक मारकर अपात्र को लिपिक बनाया, प्रकरण से जुड़े अफसर व लिपिकों में खलबली
अलवर. जिला परिषद में फर्जी नियुक्तियों के मामले लगातार खुलते जा रहे हैं। अब जो मामला सामने आया है उसमें एक ऐसी महिला को लिपिक बनाया गया जिसे परिषद ने हाईकोर्ट में अपात्र बताया। अपात्र बताने वाले आदेश के एक माह बाद ही उसे नौकरी दे दी गई। ये प्रकरण सरकार के पास पहुंचा है। कहा गया है कि पात्रों का हक मारकर नौकरी दी गई। दोषी अफसरों पर कार्रवाई हो।
ओबीसी का वैद्य प्रमाण पत्र नहीं दे पाई महिला
शासन सचिव को भेजे पत्र में कहा गया है कि पंचायती राज कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती 2013 निकाली गई। जिसमें अभ्यर्थी प्रमिला कुमारी ने भी ओबीसी विधवा कोटे से आवेदन किया। उनका चयन हो गया और उन्हें आदेश जारी किए गए कि कार्यभार ग्रहण करें लेकिन वह नहीं पहुंची। वर्ष 2017 में फिर कार्यभार ग्रहण करने के लिए जिला परिषद ने पत्र लिखा। इस बार प्रमिला देवी आईं लेकिन वह ओबीसी का वैद्य प्रमाण पत्र नहीं दिखा पाईं और परिषद ने उसे ज्वाइनिंग नहीं दी।
परिषद ने हाईकोर्ट में कहा, ओबीसी व सामान्य किसी भी कोटे में नियुक्ति नहीं दे सकते
वर्ष 2019 में प्रमिला कुमारी हाईकोर्ट पहुंच गई। कोर्ट में प्रकरण चलता रहा। उसके बाद परिषद के राजकीय अधिवक्ता ने 11 अक्टूबर 2022 को हाईकोर्ट में जवाब दाखिल किया। जिसमें लिखा है कि प्रमिला कुमारी को दो बाद ज्वाइनिंग के लिए पत्र भेजा गया। एक बार वह आई नहीं और दूसरी बार जाति प्रमाण पत्र सही प्रस्तुत नहीं कर पाई। प्रार्थिया के प्राप्तांक ( 37.52 ) सामान्य विधवा महिला की कट ऑफ (40.49) से कम हैं, इसलिए उसे सामान्य विधवा महिला श्रेणी में भी नियुक्ति दिया जाना संभव नहीं है। कोर्ट में जवाब दाखिल करने के एक माह बाद ही जिला परिषद ने प्रतीक्षा सूची के मुताबिक पात्रों का चयन कर लिया और उनके आदेश जारी कर दिए, जिसमें प्रमिला कुमारी को भी ओबीसी कोटे से नौकरी दे दी गई, जो जारी आदेश के क्रम संख्या 116 में दर्ज है।
बीडीओ मुंडावर ने भी पकड़ लिया था खेल, मांगा था मार्गदर्शन
मुंडावर में तैनाती दिए जाने का आदेश बीडीओ को भेजा गया तो उन्होंने पूरे प्रकरण की छानबीन करके तत्कालीन सीईओ जिला परिषद को पत्र लिखा। मार्गदर्शन मांगा कि इसे किस श्रेणी में नियुक्ति दी जाए। परिषद के अफसरों ने जवाब दिया कि सामान्य विधवा श्रेणी के रिक्त पदों के विरुद्ध अभ्यर्थी को तैनाती दे दी जाए जबकि नियुक्ति आदेश में ओबीसी नॉन क्रिमिलेयर दिखाया गया। प्रमिला देवी ने नियुक्ति आदेश के चार दिन बाद ही हाईकोर्ट से केस वापस ले लिया। यानी परिषद के अफसरों को नियुक्ति आदेश जारी करने की जल्दी थी, वह हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार नहीं कर सके।
नियुक्ति के एक माह बाद कटऑफ गिराने की संभावना
जानकार कहते हैं कि नौकरी लगने की तिथि तक प्रमिला के कटऑफ प्राप्तांक कम थे। बताते हैं कि परिषद ने लिपिक की नौकरी के करीब एक माह होने के बाद कटऑफ गिराई, जिसमें प्रमिला को वैद्य बता दिया। शासन सचिव से कहा गया है कि हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करने वाले व नौकरी देने वाले अधिकारी एक ही थे। महिला को नौकरी देने के लिए परिषद ने पूरा खेल किया है।
कई फर्जी नियुक्तियां हो गई पर भर्ती शाखा लिपिक पर मेहरबानी
जिला परिषद में कई फर्जी नियुक्तियां हो गईं। एसओजी ने केस भी दर्ज करा दिए लेकिन भर्ती शाखा में लिपिक को नहीं बदला गया। वह वर्षों से उसी कुर्सी पर काबिज हैं। इस पर तमाम सवाल उठ रहे हैं। मालूम हो कि आरोपों को लेकर पंचायती राज मंत्री ने राज्य स्तरीय टीम गणित कर दी।
Published on:
07 Aug 2023 11:14 am
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