जिले में हो रही बेमौसम बरसात ने कपास की बुवाई प्रभावित कर दी। क्योंकि पिछले पांच वर्षों से किसान मौसम की मार से परेशान हैं। क्योंकि कपास की जब बुवाई होती है तो बरसात शुरू हो जाती है। जब कपास खिलने का समय आता है तब भी कई बार बारिश हुई और फसल खराब हुई। फसल में टिड्ढे आदि भी लगते हैं। रोग के कारण भी फसल का उत्पादन गिर रहा है। बाजार भाव भी किसानों को नहीं मिल पाता।
ये रहा रकबा
2018 में 64293 हेक्टेयर में, 2019 में 72404 हेक्टेयर में, 2020 में 63197 हेक्टेयर में, 2021 में 55619 हेक्टेयर में व 2022 में 45271 हेक्टेयर में कपास की बुवाई की गई। बारिश के कारण फसल प्रभावित
कृषि विभाग के कार्यवाहक संयुक्त निदेशक सूरजभान शर्मा का कहना है कि बेमोसम बारिश के कारण कपास की फसल प्रभावित हो रही है। कीटनाशक भी उत्पादन घटा रहे हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को फसल के लिए हम सावधानियां बरतने को कहते हैं ताकि उत्पादन प्रभावित न हो।
2018 में 64293 हेक्टेयर में, 2019 में 72404 हेक्टेयर में, 2020 में 63197 हेक्टेयर में, 2021 में 55619 हेक्टेयर में व 2022 में 45271 हेक्टेयर में कपास की बुवाई की गई। बारिश के कारण फसल प्रभावित
कृषि विभाग के कार्यवाहक संयुक्त निदेशक सूरजभान शर्मा का कहना है कि बेमोसम बारिश के कारण कपास की फसल प्रभावित हो रही है। कीटनाशक भी उत्पादन घटा रहे हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को फसल के लिए हम सावधानियां बरतने को कहते हैं ताकि उत्पादन प्रभावित न हो।