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Rajasthan Vidhansabha Chunav : नए और पुराने चेहरों के फेर में फंसी कांग्रेस, इस जिले में 7 सीटों के बीच घमासान

Rajasthan Vidhansabha Chunav : विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने में महज एक दिन शेष है, लेकिन कांग्रेस अभी तक जिले की 11 सीटों पर पूरे प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाई है।

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अलवर

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Kirti Verma

Oct 29, 2023

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Congress

प्रेम पाठक
Rajasthan Vidhansabha Chunav : विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने में महज एक दिन शेष है, लेकिन कांग्रेस अभी तक जिले की 11 सीटों पर पूरे प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाई है। गत सितम्बर में ही उम्मीदवारों की घोषणा का दावा करने वाली कांग्रेस एक महीने की मशक्कत के बाद अभी तक जिले में चार सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर सकी है। जबकि सात सीटों की तस्वीर साफ होना बाकी है।

कांग्रेस वैसे तो सरकार रिपीट करने का दावा कर रही है, लेकिन प्रत्याशियों का चयन पार्टी के पुराने व नए चेहरों के बीच अटका है। सरकार रिपीट करने के लिए पार्टी इस बार विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर नए चेहरे उतारना चाहती है, लेकिन प्रदेश के कई सीटों पर उठे बगावती सुर के चलते निर्णय पर नहीं पहुंच पा रही है। अलवर जिले में पार्टी नेताओं काे नए चेहरे उतारने पर पुराने दावेदारों की ओर से बगावत का भय सता रहा है। यही कांग्रेस की प्रत्याशियों की सूची घोषित होने में देरी का बड़ा कारण भी है।

सात सीटों पर नए व पुराने के बीच घमासान
कांग्रेस की ओर से जिले में अभी सात विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी की घोषण की जानी है। इनमें सबसे ज्यादा इंतजार अलवर शहर सीट को लेकर है। वहीं तिजारा, किशनगढ़बास सीट पर वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं और ये पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा से जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए। वहीं इन सीटों पर कांग्रेस के पुराने व कुछ नए चेहरे भी टिकट के प्रमुख दावेदारों में शामिल है। इसी तरह थानागाजी में निर्दलीय विधायक भी पांच साल तक कांग्रेस सरकार के साथ रहे, यहां कुछ नए व पुराने नेता भी कांग्रेस टिकट पर दावा कर रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के दो मौजूदा विधायकों के क्षेत्र में भी कई नए चेहरे टिकट को आतुर है। राठ की बहरोड़ सीट भी नए और पुराने चेहरों के फेर में फंसी है।

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प्रत्याशी घोषणा में देरी का हो सकता है नुकसान
कांग्रेस की ओर से प्रत्याशियों की घोषणा में देरी का नुकसान पार्टी को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। कारण है कि इनमें से कुछ सीटों पर भाजपा की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने से प्रचार अभियान शुरू हो चुका है, वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता अभी चेहरे के फेर में ही अटके हैं।

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