
अलवर. ‘जो अब तक नहीं खौला, वो खून नहीं पानी है, जो देश के काम नहीं आए वो बेकार जवानी है।’ हिन्दी की यह कविता की लाइनें देश भक्ति और अपने कर्तव्यों के प्रति युवाओं को ही नहीं, बल्कि सभी को जागरुक करती हैं। एक तरफ युवा पीढ़ी का ध्यान अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की तरफ है दूसरी ओर अलवर का एक युवा धारा के विपरीत चलकर देश के ज्वलंत मुद्दों पर कानूनन तरीके से लड़ाई लड़ रहा है। छोटी सी उम्र में ही वह कहीं सुप्रीम कोर्ट तो कभी भारत सरकार के दिल्ली स्थित मंत्रालय के कार्यालयों में चक्कर लगा रहा है।
अलवर के जनता कॉलोनी मूंगस्का निवासी हैदर अली की उम्र मौजमस्ती और नौकरी पाने के लिए तैयारी करने की है। वह एमए में पढ़ाई के साथ आईएएस की तैयारी कर रहा है। युवा उम्र में प्रवेश करते ही हैदर ने समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन का बीड़ा उठाने का मानस बनाया है। वह अकेला ही इस काम में चला ओर इसका साथ इनके मित्र ग्रामीण युवा जीतू चौधरी ने दिया। हैदर ने सबसे पहले देश में आए दिन होने वाले साम्प्रदायिक दंगों के खिलाफ आवाज उठाई।
इन्होंने प्रधानमंत्री सहित उच्चतम न्यायालय को पत्र भेजकर मांग की कि साम्प्रदायिक दंगों में निर्दोष लोगों की हत्या होती है, जिसमें ऐसे लोगों को मुआवजा देना चाहिए। इन्होंने एक जनवरी 2001 से जनवरी 2016 तक देश में हुए साम्प्रदायिक दंगों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आरटीआई में इनकी संख्या 12 हजार बताई और मरने वालों की संख्या 4 हजार जबकि 40 हजार लोग घायल हो गए। इस साम्प्रदायिक दंगों के खिलाफ हैदर अपने मित्रों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे। इन्होंने साम्प्रदायिकता के खिलाफ एक जनहित याचिका 31 जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। अब ये नए सिरे से सभी राज्यों को पार्टी बनाकर फिर रिट दाखिल करेंगे।
एनजीटी ने दिया नोटिस
हैदर ने आईपीएल के मैचों में पानी की बर्बादी पर एनजीटी में एक शिकायत की है जिस पर सम्बन्धित 12 राज्यों को नोटिस जारी हो चुके हैं। बुधवार को इस मामले में सुनवाई थी जिसमें 12 राज्यों के प्रतिनिधि नहीं पहुंचे तो उन्हें एनजीटी ने जवाब तलब किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 28 अप्रेल को होगी।
इनका कहना है कि जब कम्पनी बनाकर कुछ लोग खेल रहे हैं तो इसमें पानी की बर्बादी रोकी जाए। ये शराब बंदी के लिए प्रदेश में सक्रिय होकर काम कर रहे हैं। ये अब तक प्रदेश में 400 आरटीआई लगा चुके हैं, जिनके आधार पर व लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। ये हर दिन देश के बड़े मुद्दों पर अदालतों के चक्कर लगाते हैं। ये बीसीआई के मुम्बई स्थित कार्यालय के सामने धरना भी दे चुके हैं। अब ये अपनी लड़ाई अलवर जिले में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ है जिसके लिए तैयारी कर रहे हैं।
Published on:
15 Mar 2018 12:13 pm
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