
शत-प्रतिशत अंक भेजे तो कटघरे में आ सकते हैं स्कूल, रहेगी पैनी नजर
जिले में संचालित सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले कक्षा 10 व कक्षा 12 के विद्यार्थियों की आंतरिक परीक्षा के अंक 20 में से 20 देने पर स्कूलों की जांच हो सकती है। ऐसे में अब स्कूल अंक शत-प्रतिशत देते समय इसका ध्यान रखेंगे।
स्कूलों को अर्द्धवार्षिक परीक्षा में आए वास्तविक अंकों के आधार पर ही सत्रांक भेजने होंगे। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है। निगरानी के लिए अब डाइट स्टाफ कभी भी स्कूल पहुंचकर परीक्षार्थियों की कॉपी जांच सकेंगे। इसमें विद्यार्थी के सत्रांक और बोर्ड परीक्षा के अंकों में अंतर होने पर स्कूल में रखे रेकॉर्ड की जांच होगी। यानी अब 20 में से 20 अंक भेजने के साथ ही बोर्ड परीक्षा में संबंधित छात्र को अच्छे अंक चाहिए। इसके लिए शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष मोदी ने सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधानों को आदेश जारी किए हैं।
ऐसे होगी निगरानी
संस्था प्रधान को हर परीक्षा व परख के बाद हर विषय की दो फीसदी कॉपियों की जांच व सत्रांक से मिलान कर प्रमाण पत्र देना होगा।
डाइट स्टाफ कभी भी स्कूल जाकर कॉपियों की जांच कर उसके नम्बरों का सत्रांक से मिलान कर सकते हैं। इसके लिए स्कूलों को तीन साल तक टेस्ट व अर्द्धवार्षिक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं सुरक्षित रखनी होंगी।
सत्रांक भेजने से पहले संस्था प्रधान उस पीईईओ परिक्षेत्र के अन्य शिक्षक को बाह्य परीक्षक के रूप में बुलाएंगे, जो अंकों का मिलान कर विषय अध्यापक व संस्था प्रधान के साथ हस्ताक्षर सहित प्रमाण पत्र देंगे कि बोर्ड को भेजे जा रहे विद्यार्थियों के सत्रांक अर्द्धवार्षिक परीक्षा में प्राप्त अंकों के अनुपात में ही हैं।
यदि स्कूल की ओर से भेजे गए सत्रांक व बोर्ड परीक्षा के परिणाम में आए अंकों में 50 फीसदी से ज्यादा का अंतर हुआ तो मामले को संदिग्ध मानते हुए शिक्षा विभाग उसकी जांच करवाएगा।
इस प्रकार से भेजे जाते हैं सत्रांकमाध्यमिक शिक्षा की बोर्ड परीक्षा में विद्यार्थी का परिणाम सैद्धांतिक, प्रायोगिक व स्कूल स्तर के सत्रांक मिलाकर जारी होते हैं। प्रायोगिक विषय के अलावा गैर प्रायोगिक विषयों के अंक भी स्कूलों को ठीक भेजने होंगे। अन्यथा वे संदेह के दायरे में आ जाएंगे।
इस बार शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था की है। यदि किसी विद्यार्थी के परिणाम में आए अंको में 50 फीसदी से अधिक अंतर रहता है तो वो जांच के दायरे में होंगे। उनकी जांच की जा सकती है।
रामेश्वर दयाल मीणा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, अलवर।
Published on:
24 Feb 2024 11:15 am
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