
रंगों से आंखों और त्वचा को रखें सुरक्षित, केमिकल युक्त न हो रंग और गुलाल
स्वास्थ्य विशेषज्ञ दे रहे लोगों को सलाह
रंगों का त्योहार होली अब सिर्फ तीन दिन दूर है। इसको लेकर बच्चों व युवाओं में उत्साह का माहौल है। हर कोई एक दूसरे के गुलाल व रंग लगाने को लेकर उत्सुक है। वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि यह त्योहार कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए खतरा भी बन सकता है। रंगों में मौजूद केमिकल आंख व त्वचा के लिए खतरा बन सकते हैं। इसके साथ ही रंगों के नाक, मुंह व कान में जाने से भी परेशानी हो सकती है। खासकर अस्थमा व श्वसन रोगियों को होली के दौरान गुलाल व रंगों से बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
त्वचा संक्रमण से रुखापन और जलन व खुजली का खतरा:
कृत्रिम गुलाल व रंगों में मौजूद पारद, मिट्टी व शीशा सहित कई प्रकार के केमिकल शरीर के लिए हानिकारक हैं। इससे त्वचा में संक्रमण, रूखापन, चकते, खुजली, जलन व सूजन सहित कई परेशानियां हो सकती है। इन कैमिकल युक्त रंगों के मुंह में जाने से पेट दर्द, वमन व अतिसार का भी खतरा रहता है। इसके साथ ही गुलाल हवा में उड़ाने के दौरान कुछ भाग श्वास के साथ फेफड़ों में जाने से खांसी व संक्रमण की भी परेशानी हो सकती है।
एक्सपर्ट व्यू:
पूरी आस्तीन के कपड़े पहन कर होली खेलें। इसके साथ ही त्वचा को अच्छी तरह से मॉइश्चराइज करें। सिर व त्वचा पर नारियल का तेल भी लगा सकते हैं। शरीर पर तेल की परत से रंग छुड़ाने में आसानी रहती है। होठों पर भी पेट्रोलियम जैली अथवा मलाई लगा सकते हैं। वहीं, होली से पहले और खेलने के कुछ दिन बाद तक फेशियल व ब्लीच ना कराएं। इससे त्वचा पर फुंसियां हो सकती है। इसके साथ ही होली खेलने के बाद त्वचा को रगड़ कर नहीं धोएं और नहाने के बाद फिर से त्वचा को मॉइश्चराइज करें। रंग छुड़ाते समय खरोंच आने पर चिकित्सक की सलाह लें। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पीएं। हो सके तो प्राकृतिक रंगों चुकंदर, पलास के फूल, हल्दी व मेहंदी आदि से बनी गुलाल व रंगों से ही होली खेलें।
डॉ. प्राची गर्ग, चर्म एवं यौन रोग विशेषज्ञ।
Published on:
22 Mar 2024 12:09 pm
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