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बजट का अभाव, कैसे हो टूटी सुरक्षा दीवार ठीक

बजट का अभाव, कैसे हो टूटी सुरक्षा दीवार ठीक

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बजट का अभाव, कैसे हो टूटी सुरक्षा दीवार ठीक

बजट का अभाव, कैसे हो टूटी सुरक्षा दीवार ठीक

अलवर . नारायणपुर क्षेत्र में तालवृक्ष से कुशालगढ मुख्य सडक़ के दोनों तरफ खड़े बिलायती बबूल और वन विभाग की टूटी हुई सुरक्षा दीवार वन्य जीवों पर भारी पड़ रही है। जवाबदेही अधिकारी बेखबर राजकीय बजट नहीं होने की दुहाई देकर दुर्लभ वन्यजीव छोड़ रहे हैं जगह उनकी सुरक्षा भगवान भरोसे हो रही है। प्रकृति को बचाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें आए दिन सेमिनार और बहुत से अभियान चलाकर पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए वनों और वन्य जीवों को बचाने के लिए सिर्फ कागजों में आंकड़ों के माध्यम से तुलनात्मक अध्ययन कर वाह वाही लूटने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। इसका जीवंत उदाहरण देश दुनिया में विख्यात सरिस्का बाघ परियोजना में देखा जा सकता है। तालवृक्ष से कुशालगढ रोड़ के दोनों ओर बिलायती बबूल खड़ी हुई है। वन्य जीव पहाड़ी इलाका होने के कारण बिलायती बबूल में छुप कर बैठ जाता है और अचानक वाहनों की आवाजाही होने पर वन्यजीव हड़बड़ाहट में बबूल के पेड़ के नीचे से निकल कर भागता है जिससे वाहन चालकों को नजर नहीं आता है और मौत का शिकार हो जाते हैं।
वहीं, पहाड़ी इलाका होने के कारण पहाड़ की ओर वन्यजीव सडक़ पर नहीं आ सके उसके लिए सुरक्षा दीवार बनवाई गई थी, लेकिन वन विभाग ने पहाड़ की ओर पक्की दीवार तो बनवा दी लेकिन वह भी कऱीब बीस से प‘चीस जगह से टूट गई जिसमें से निकलकर वन्यजीव रोड़ को पार करते हैं जिससे हादसा हो जाता है। इस ओर अभी तक किसी जनप्रतिनिधि और वन विभाग के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है। जब क्षेत्रीय वन अधिकारी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने राजकीय बजट का अभाव बताकर पल्ला झाड़ लिया।अगर इन बबूल की झाडिय़ों और दीवार की पुन: मरम्मत नहीं की गई तो वन्य जीवों को सडक़ दुघर्टना में जान गंवानी पड़ेगी।