
अलवर शहर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक हिस्से में सभी तरह के संसाधन हैं और दूसरे हिस्से में संसाधनों का टोटा। दूसरे हिस्से को पटरी पार वाला इलाका कहा जाता है। यहां केवल एक सीनियर सेकंडरी स्कूल है। बालिकाओं के लिए अलग से कोई सरकारी स्कूल नहीं। न ही कोई सरकारी कॉलेज है। प्राइवेट स्कूल तो हैं, लेकिन दसवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं का इनमें आसानी से एडमिशन नहीं हो पाता। ऐसे में उन्हें दसवीं कक्षा के बाद सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के लिए रिक्शा, ऑटो या अन्य माध्यमों से पढ़ने के लिए शहर के इस पार आना पड़ता है।
आने-जाने पर होने वाले खर्च से लेकर तमाम भार परिवार को उठाने पड़ते हैं। इस हालात में कई परिवार तो बेटियों की पढ़ाई ही छुड़वा देते हैं। यही स्थिति चिकित्सा सुविधाओं की है। हर दिन पटरी पार से सामान्य, शिशु व महिला अस्पताल में इलाज के लिए 500 से 700 मरीज आते हैं। ये भी विभिन्न साधनों के जरिए पहुंचते हैं। पटरी पार इलाके के लोगों को सरकारी कार्यालयों में जाने के लिए भी खासा परेशान होना पड़ता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर रूप से पटरी पार वाला इलाका मजबूत नहीं हो पाया। यहां बाजार विकसित नहीं किया जा सका। पार्क भी इक्का-दक्का हैं। पटरी पार इलाके के लोग कहते हैं कि हमें महज वोट लेने का जरिया न समझा जाए। विकास यहां भी दिखाई देना चाहिए।
शहर की आबादी करीब 5 लाख है। पटरी पार करीब 2 लाख से ज्यादा निवास करते हैं। ग्रामीण इलाका भी सटा है। रेलवे स्टेशन मध्य में आने से शहर दो भागों में बंट गया। ओवरब्रिज बनाकर इसे जोड़ा गया। ईटाराणा, कला कॉलेज के ओवरब्रिज बनाए। दाउदपुर फाटक के जरिए लोग दूसरे हिस्से से आते-जाते हैं। काली मोरी से पटरी पार कर हजारों लोग आते-जाते हैं।
मिनी सचिवालय, सिटी पैलेस, शिक्षा विभाग, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग से लेकर अधिकांश सरकारी कार्यालय।
रोडवेज बस स्टैंड, प्राइवेट बस स्टैंड।
सामान्य अस्पताल के अलावा शिशु व महिला अस्पताल।
आईटीआई के अलावा पॉलिटेक्निक कॉलेज।
कला कॉलेज, वाणिज्य कॉलेज, विधि कॉलेज, आरआर कॉलेज, 3 बालिका सीनियर सेकंडरी स्कूल।
मुख्य बाजार, घंटाघर, होप सर्कस, धार्मिक प्रतिष्ठान।
हर कॉलोनी में एक पार्क- 40 से ज्यादा पार्क।
पर्यटन स्थल- मूसी महारानी की छतरी, मोती डूंगरी, सिटी पैलेस, सागर, बाला किला आदि।
शॉपिंग सेंटर और सभी प्रमुख 12 चौक।
सीनियर सेकंडरी स्कूल रेलवे स्टेशन
जीएसटी व पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड कार्यालय
दो पार्क।
मंडी।
ईएसआईसी अस्पताल। ये शहर से 10 किमी दूर है।
पीएचसी मूंगस्का।
हमें महज वोट लेने का जरिया न समझा जाए, विकास यहां भी दिखाई देना चाहिए।
अब जहां ज्यादा विकास दिख रहा है, वही मुख्य शहर था। पटरी पार अनियोजित तरीके से कॉलोनियां बनी। कॉलोनाइजर्स ने इस पर ध्यान नहीं दिया। एनईबी, रणजीत नगर कॉलोनी जरूर यूआईटी ने बनाई, लेकिन बाकी अधिकांश हिस्सा अनियोजित रहा। वर्तमान में यह शहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया। ऐसे में इस एरिया में भी विकास का बैलेंस करना होगा, ताकि लोगों को परेशानी न हो। इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए यूआईटी, नगर निगम व प्रशासन को कदम उठाने होंगे। 60 फीट रोड पर खाली जमीन पर बालिकाओं के लिए सीनियर सेकंडरी स्कूल बनाया जा सकता है। - प्रमोद शर्मा, सेवानिवृत्त एक्सईएन, यूआईटी
Updated on:
21 Dec 2024 12:26 pm
Published on:
21 Dec 2024 12:19 pm
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