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भगवान नृसिंहजी ने हिरण्यकश्प को ऐसे समय में मारा, जब दिन था न रात…

अलवर). वैशाख पूर्णिमा पर भगवान नृसिंह की जयंती मनाई। भगवान विष्णु के अवतार नृसिंहजी ने इसी दिन दुराचारी हिरण्यकश्यप का वध किया था। उस दौरान न दिन था न रात। ब्रह्माजी से हिरण्यकश्प को यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मौत न अस्त्र से हो न शस्त्र से, दिन में हो न रात में, धरती पर हो न आकाश में, मानव से हो न पशु से...। इस पर भगवान विष्णु ने आधा शरीर मानव का व आधा शेर के रूप में खंभ से प्रकट होकर दरवाजे की दहलीज पर अपनी गोद में आड़ा पटक संध्या बेला में हिरण्यकश्यम को अपने नाखूनों से चीरकर वध किया।

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वैशाख पूर्णिमा पर क्षेत्र में भगवान नृसिंह जी की जयंती मनाई

वैशाख पूर्णिमा पर क्षेत्र में भगवान नृसिंह जी की जयंती मनाई

बानसूर (अलवर). वैशाख पूर्णिमा पर क्षेत्र में भगवान नृसिंह जी की जयंती मनाई गई। भगवान विष्णु के अवतार नृसिंहजी ने इसी दिन दुराचारी हिरण्यकश्यप का वध किया था। उस दौरान न दिन था न रात। ब्रह्माजी से हिरण्यकश्प को यह वरदान प्राप्त था कि उसकी मौत न अस्त्र से हो न शस्त्र से, जल में हो न आग से, दिन में हो न रात में, धरती पर हो न आकाश में, मानव से हो न पशु से...। इस पर भगवान विष्णु ने आधा शरीर मानव का व आधा शेर के रूप में अवतार लेकर खंभ से प्रकट होकर दरवाजे की दहलीज पर अपनी गोद में आड़ा पटक संध्या बेला में हिरण्यकश्यम को अपने नाखूनों से चीरकर वध किया। उस दिन वैशाख पूर्णिामा का ही दिन था। इस दिन नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।


इसी उपलक्ष्य में बानसूर कस्बे के प्राचीन नृसिंह मंदिर पर भगवान नृसिंह जयंती मनाई। मंदिर पर प्रसादी, ठंडाई तथा मिठाई का भोग लगा वितरण किया। मंदिर को सजाया और नृसिंह भगवान की पूजा की। पुजारी जुगल किशोर गौतम ने बताया कि इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही।