कोरोना के बीच गूंजी शहनाई, शादी ब्याह से मैरिज होम हुए रोशन, गाइडलाइन्स की नहीं हुई पालना
कोरोना के बीच लोगों ने शादी-विवाह का आनंद उठाया। कोरोना के चलते लोगों ने कई रिवाज में बदलाव किया

अलवर. कोरोना बीमारी की दहशत के बीच बुधवार को देवउठनी एकादशी पर शहनाई फिर से गूंज उठी। शहर की सडक़ों पर शाम होते ही नाचते गाते बाराती सजी-धजी महिलाएं और बैंड बाजे के आगे डांस करते बच्चे शादी का आनंद लेते दिखाई दिए।
शादी का उत्साह इतना अधिक था की चेहरे पर कोरोना का डर कहीं नजर ही नहीं आया। लेकिन यह शहर शाम 8 बजते ही थम गया। बारात के विवाह स्थल पर पहुंचने के बाद आयोजक जल्द ही कार्यक्रमों को पूरा करने में जुट गए।
देवउठनी पर अबूझ सावा होने के कारण फूलों की मांग सबसे ज्यादा रही दोपहर बाद सब्जी मंडी में फूलों की मालाएं गजरा और कार को सजाने के लिए फूल मिलना मुश्किल हो गया। ज्यादातर फूल डेकोरेशन के लिए खरीदे गए थे।
इधर ,सुबह से जहां शहर के ब्यूटी पार्लर में जगह मिलना मुश्किल था वही शादियों की रौनक से अलवर शहर के सभी मैरिज होम मैं रोनक नजर आई। 5 माह बाद सावे फिर से शुरू होने से टेंट हाउस, मैरिज होम, बैंड बाजा ,हलवाई , पंडित सभी के चेहरे खुश नजर आए।
देवउठनी पर अबूझ सावा होने के कारण एक ही दिन में अलवर शहर में 200 से ज्यादा शादियां हुई इसके चलते अलवर शहर के बाजारों में सुबह से शाम तक खरीदारी की रौनक बनी हुई थी। इस बार कोविड-19 के नियमों की पालना के चलते ज्यादातर लोग शादी में मेहमान नवाजी से बचते नजर आए और एक ही दिन में अनेक शादियां होने के कारण शहर के बाजारों में दिनभर जाम की स्थिति बनी रही ।
अलवर शहर के मनु मार्ग में दिन में कई बार जाम लगा । इधर होप सर्कस ,पंसारी बाजार और मन्नी का बड से निकलना मुश्किल हो गया। शाम के समय अलवर जयपुर मार्ग पर मैरिज होम में शादी होने के कारण यहां वाहनों की कतार लगी हुई थी।
अलवर शहर के कंपनी बाग रोड, मनु मार्ग , गायत्री मंदिर रोड आदि स्थान जहां मैरिज होम की संख्या ज्यादा है वहां पर नाचते गाते बाराती समय निकलने के बाद भी झूमते दिखाई दिए। ऐसे में आयोजकों को बारातियों को संभालना मुश्किल हो गया।
अलवर शहर के जयकृष्ण क्लब नयाबास आदि स्थानों पर मैरिज होमो के बाहर वाहनों की लंबी कतार लगी हुई थी । जिसके चलते इस मार्ग से निकलना मुश्किल हो गया।
जिला प्रशासन की ओर से शाम 7 बजे बाद नाईट कफ्र्यू लगाने के कारण ज्यादातर लोगों ने कन्यादान की रस्म समय से पहले ही पूरी कर ली। कहीं कोई कन्यादान या आयोजन छूट ना जाए। इसलिए घर के सदस्य अलग-अलग जगह पहुंचे।
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