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मत्स्य विश्वविद्यालय के हाल, परीक्षा की तारीख आ गई, लेकिन नहीं बन पाए प्रश्न-पत्र

अलवर की मत्स्य विश्वविद्यालय के हाल ऐसे हो गए हैं कि परीक्षा से एक दिन पहले तक पेपर नहीं बन पाया तो परीक्षा को स्तगित करना पड़ गया।

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अलवर

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Prem Pathak

May 18, 2018

Matsya university couldn't set paper before a day of exam

मत्स्य विश्वविद्यालय के हाल, परीक्षा की तारीख आ गई, लेकिन नहीं बन पाए प्रश्न-पत्र

मत्स्य विश्वविद्यालय का विवादों से पुराना नाता रहा है। मत्स्य विश्वविद्यालय की आज शुक्रवार को होने वाली एमए प्रीवियस भूगोल, व 22 मई से शुरु होने वाली इतिहास व हिंदी की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है। एमए प्रीवियस भूगोल की परीक्षा का स्थगित करने का आदेश परीक्षा से महज 12 घंटे पहले ही जारी किया गया। परीक्षाएं स्थगित करने का कारण यूनिवर्सिटी द्वारा नई स्कीम के अनुसार प्रश्न पत्र नहीं बनवा पाना है। विश्वविद्यालय की ओर से इन परीक्षाओं के प्रश्न पत्र ही नहीं बनवाए गए।

परीक्षा नियंत्रक सप्तेष कुमार का कहना है कि इन विषयों की परीक्षाओं की आगामी तिथियां जल्द ही घोषित की जाएगी। विद्यार्थी नई समय सारणी व प्रवेश पत्र के लिए यूनिवर्सिटी की वेबसाइट देख सकते हैं। यूनिवर्सिटी ने सिर्फ एक आदेश देकर पूरे मामले को निपटा दिया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर विश्वविद्यालय में कार्यरत उप कुलपति सहित सभी अधिकारियों की कार्यशैली को सरकार लगातार अनदेखा क्यों कर रही है। अपनी शुरुआत से लेकर अब तक यह विश्वविद्यालय कई मामलों में सवालों के घेरे में रही है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ।

परीक्षा से लेकर रिजल्ट में विश्वविद्यालय की नाकामी के कई उदहारण पहले भी सामने आ चुके हैं। यह पहला मामला है जिसमें समय सारणी जारी कर दी गई और बाद में इसलिए पेपर स्थगित कर दिया कि प्रश्नपत्र पहले देखे नहीं गए थे कि वे कौनसी स्कीम के हैं।

अधिकारियों की यह उदासीनता साफ जाहिर कर रही है कि जिनपर विद्यार्थियों के भविष्य की बड़ी जिम्मेदारी है, उनकी यह गैर जिम्मेदारी हजारों विद्यार्थियों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाएगी। वीसी का कहना है कि प्रश्नपत्र की पुरानी व नई स्कीम के होने के कारण यह परेशानी आई है, मेरे सामने इस मैटर को शाम पांच बजे लाया गया, मैं क्या कर सकता हूं। पुरानी स्कीम में पेपर तीन यूनिट व नई स्कीम में पेपर पांच यूनिट में है, ऐसे में इस गफलत के कारण परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी। प्रश्नपत्र स्कीम के अनुसार बने ही नहीं, बच्चों के हित में निर्णय लिया गया कि इन तीन विषयों की परीक्षा बाद में ली जाएगी।