
राजस्थान का एक ऐसा विश्वविद्यालय जिसके पास ना कुलपति, ना रजिस्ट्रार और ना ही खुद का भवन, लाखों विद्यार्थियों का भविष्य अंधेरे में
अलवर. एक ऐसा विश्वविद्यालय जिसके पास ना तो खुद का भवन है, ना ही कुलपति और ना ही रजिस्ट्रार। उस विश्वविद्यालय के तहत आने वाले कॉलेजों में लाखों विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। जरा सोचिए विद्यार्थियों के भविष्य से कैसे खिलवाड़ हो रहा होगा? यह सच्चाई है अलवर के मत्स्य विश्वविद्यालय की। यहां ना तो कुलपति है ना रजिस्ट्रार और ना ही खुद का भवन। राजर्षि भर्तहरि मत्स्य विश्वविद्यालय की सरकारी उपेक्षा का खामियाजा लाखों विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। सरकार ने विश्वविद्यालय की स्थापना कर औपचारिकता की है। यहां मानवीय और भौतिक संसाधनों का पूरी तरह अभाव है जिसके चलते विश्वविद्यालय के कामकाज की गाड़ी पटरी पर नहीं आई है। विश्वविद्यालय में ना कुलपति हैं और ना ही रजिस्ट्रार। विश्वविद्यालय का भवन बनने के लिए पूरा बजट नहीं मिलने के कारण इसको पूरा बनने में कई दशक लग सकते हैं।
राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय में पिछले 6 माह से कुलपति का पद रिक्त है। कुलपति के चयन के लिए प्रक्रिया शुरु हो गई है लेकिन इसमें अभी और समय लगने की संभावना है। इस काम में पूरी तरह धीमी गति है जिसके कारण नए कुलपति के चयन में समय लग सकता है। हाल ही में यहां रजिस्ट्रार के पद पर धीरेन्द्र सिंह को लगाया गया है जो यहां कार्यभार नहीं संभाल रहे हैं।
ऐसे तो कई दशक में बनेगा विश्वविद्यालय-
राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के पास अभी तक स्वयं का भवन तक नहीं है। हल्दीना में इसका भवन बन रहा है जिसके प्रशासनिक व परीक्षा कार्य भवन का काम पूरे होने को है जिसके लिए मात्र 6 करोड़ की राशि ही ठेकेदार को मिली है जबकि इसके पूरे होने में करीब 13 करोड़ रुपए व्यय होंगे। 200 हैक्टेयर में बनने वाले मत्स्य विश्वविद्यालय को पूरा बनने में 300 करोड़ की आवश्यकता है जिसको लेकर सरकार की मंशा दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में मत्स्य विश्वविद्यालय ने उत्तर पुस्तिकाएं रखने के लिए 2 भवन किराए पर ले रखे हैं। इस समय विश्वविद्यालय का कार्यालय राजकीय कला महाविद्यालय के महिला छात्रावास में संचालित हो रहा है।
स्टॉफ तक पूरा नहीं
विश्वविद्यालय में चलने वाली कक्षाओं के लिए प्रोफेसर की नियुक्ति होनी है जिसकी प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। यहां पहली भर्ती में मंत्रालयिक कर्मचारियों की भर्ती के बाद भी इनकी कमी अखर रही है जिसके कारण यहां का सारा कार्य प्रभावित हो रहा है। यहां विधि अधिकारी सहित कई पद रिक्त हैं। इस विश्वविद्यालय में मानवीय संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा गया जिसका खामियाजा यहां के कामकाज पर पड़ रहा है।
Published on:
02 Nov 2019 04:53 pm
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