22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान के इस विश्वविद्यालय ने हिन्दी का सिलेबस ही गलत बना दिया

अलवर की राजर्षि भर्तहरि मत्स्य विश्वविद्यालय ने हिन्दी के सिलेबस में कई गलतियां की है जिससे विद्यार्थी असमंजस में है।

2 min read
Google source verification
matsya university make wrong syllabus of hindi subject

अलवर. राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के सिलेवस में ही इतनी गलतियां हैं जिससे विद्यार्थी असमंजस में हैं। छात्रों का भविष्य बनाने वाली शैक्षणिक संस्था विश्वविद्यालय के सिलेवस में अशुद्धियों की भरमार है तो कहीं ऐसे प्रश्न किए गए हैं जिनके जवाब ही नहीं मिल रहे हैं।


इस बार बीए प्रथम वर्ष में हिन्दी अनिवार्य के सिलेवस में कई गलतियां कर दी हैं जिसके कारण विद्यार्थियों को इससे सम्बन्धित किताबें ही बाजार में नहीं मिल रही हैं। बीए प्रथम वर्ष के सिलेवस पूर्णांक 100 अंकों का है जिसमें कई खामियां हैं। प्रथम वर्ष के पद्य भाग में वर्तनियों में कई गलतियां हैं जिनमें गुरुदेव, करणीं, विधौसण, कस्तूरियां, चितावणी गलत लिखे हुए हैं। इसी प्रकार सिलेवस के पद्य भाग में क्रम संख्या 3 में तुलसीदास विषय में भी कई गलतियां हैं।

सिलेवस में गुरु में बड़ा रू लगाया गया है। हिन्दी के विशेषज्ञ तुलसीदास कवितावली रामचन्द्र शुक्ल की बताई गई है जबकि उन्होंने इसे सम्पादित ही नहीं किया है। ऐसे में विद्यार्थी इसे कहां से ढूंढ कर लाएंगे?


इसी प्रकार कविता में लय चलती है जिसमें कई खामियां हैं। रघुबीर बधू शब्द को अलग-अलग बताया है जबकि यह एक ही शब्द है। सुमित्रानंदन पंत की कविता भारत माता को शामिल किया गया है जबकि यह नहीं बताया कि यह उनकी ग्रंथावली कौनसे नम्बर से लिया गया है। यही कविता उनकी ग्रंथावली 2 और 4 में है।

जिससे विद्यार्थी भ्रमित हो रहे हैं। इन गलतियों से विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। हिन्दी के कवि त्रिलोक शर्मा का कहना है कि हिन्दी बीए प्रथम वर्ष के सिलेवस की वर्तनी में कई गलतियां हैं जिसमें विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। यह अनिवार्य विषय होने के बावजूद बहुत कठिन सिलेवस है।इस बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. भरत सिंह का कहना है कि सिलेवस में यदि कोई गलती है तो उसे दुरुस्त किया जाएगा। इसकी शिकायत किसी ने भी उन्हें नहीं की है।