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सरिस्का के पास खनन को अनुमति से मिनरल उद्योग को फिर लगेंगे पंख

राज्य सरकार की ओर से सरिस्का बाघ परियोजना से एक से 10 किलोमीटर दूरी पर िस्थत खानों के संचालन के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति की अनिवार्यता खत्म करने से खनन उद्योगो को फिर से पंख लग सकेंगे। अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी के बिना ही खनन के लिए संचालन सम्मति सीटीओ का नवीनीकरण कर सकेगा। सरकार के इस आदेश से सरिस्का के आसपास करीब 157 खानों को पुनर्जीवन मिलेगा।

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सरिस्का के पास खनन को अनुमति से मिनरल उद्योग को फिर लगेंगे पंख

सरिस्का के पास खनन को अनुमति से मिनरल उद्योग को फिर लगेंगे पंख

सरिस्का के पास खनन को अनुमति से मिनरल उद्योग को फिर लगेंगे पंख
- कच्चा माल की उपलब्धता होने पर उद्योग व खनन क्षेत्र में बढ़ेगी रोजगार की संभावना

- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी की जरूरत नहीं, प्रदूषण मंडल कर सकेगा सीटीओ जारी

अलवर. राज्य सरकार की ओर से सरिस्का बाघ परियोजना से एक से 10 किलोमीटर दूरी पर िस्थत खानों के संचालन के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति की अनिवार्यता खत्म करने से खनन उद्योगो को फिर से पंख लग सकेंगे। अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की मंजूरी के बिना ही खनन के लिए संचालन सम्मति सीटीओ का नवीनीकरण कर सकेगा। सरकार के इस आदेश से सरिस्का के आसपास करीब 157 खानों को पुनर्जीवन मिलेगा।

सरिस्का से एक किलोमीटर की दूरी पर मार्बल की 148 खानें हैं। इनमें से ज्यादातर खानें प्रदूषण विभाग का सीटीओ नही मिलने से बंद थी। लेकिन पिछले दिनों राज्य सरकार की ओर से सरिस्का के नए आदेश से अब खान संचालकों को प्रदूषण नियंत्रण मंडल से सीटीओ मिलने में आ रही बाधा दूर हो गई।पहले थी एक किलोमीटर दूर खनन की अनुमति

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का बाघ परियोजना के एक किलोमीटर दूर खनन कार्य काे हरी झंडी दी थी। सरकार के नए आदेश से अब 10 किलोमीटर दूरी तक सीटीओ के नवीनीकरण की राह आसान हो गई है।उद्योगों को सस्ता कच्चा माल मिल सकेगा

सरिस्का के आसपास ज्यादातर खानें मार्बल की हैं। इस कारण राजगढ़ व एमआइए में मिनरल आधारित उद्योगों की संख्या ज्यादा है। हालांकि अलवर जिले में मिनरल ग्राइडिंग उद्योग खूब हैं। इनमें मार्बल के पाउडर कच्चा माल तैयार कर अन्य उद्योगों काे भेजा जाता है। अनुमान के तौर पर राजगढ़, एमआइए, बापी व थानागाजी क्षेत्र में मिनरल के 400 से अधिक उद्योग हैं। इनमें प्रतिदिन प्रतिदिन 8 हजार टन से ज्यादा मार्बल खंडा की खपत होती है। पूर्व में सरिस्का के आसपास ज्यादातर खानें बंद होने पर मार्बल खंडा 900 से एक हजार रुपए प्रति टन मिल रहा था, वहीं खानें पूरी तरह खुलने पर इसकी रेट घटकर 400 से 500 रुपए प्रतिटन तक आने की उम्मीद है। कच्चा माल आसानी व सस्ता मिलने पर उद्योग ज्यादा समय चल पाएंगे। इससे रोजगार का सृजन भी ज्यादा हो सकेगा।बढ़ेगी सरकार की आय

खनन के लिए सीटीओ के नवीनीकरण की राह आसान होने का लाभ खनन मालिकाें, उद्यमियों एवं क्षेत्रीय ग्रामीणों को होने के साथ ही सरकार को भी रॉयल्टी आदि ज्यादा मिल पाएगी। इससे सरकार की आय भी बढ़ सकेगी।