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नवरात्र 2018 : आस्था का केन्द्र है अलवर का धौलागढ़ की देवी का मंदिर, दर्शन करने के लिए इन राज्यों से आते हैं श्रद्धालु

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अलवरOct 13, 2018 / 11:34 am

Hiren Joshi

Navratra 2018 : Dhaulagarh Devi Mata Temple Of Kathumar Alwar

नवरात्र 2018 : आस्था का केन्द्र है अलवर का धौलागढ़ की देवी का मंदिर, दर्शन करने के लिए इन राज्यों से आते हैं श्रद्धालु

कठूमर उपखण्ड क्षेत्र की ग्राम पंचायत बहतुकला में स्थित धोलागढ़ देवी का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है। यहां प्रतिवर्ष हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, कोलकाता, राजस्थान आदि प्रांतों के श्रद्धालु मैया के दरबार में आते हैं और परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं। यूपी के मथुरा व आगरा जनपदों के श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है। इनका मंदिर के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है। ग्राम पंचायत व मेला कमेटी के तत्वावधान में वैशाख बदी पंचमी से एकादशी तक लक्खी मेला भरता है। नवरात्र में भी श्रद्धालुओं की विशेष आावक रहती है। इसके अलावा वर्ष भर श्रद्धालुओं की आवाजाही से यहां जैसा माहौल बना रहता है।
देवी मैया के मंदिर की स्थापना की पीठे कई क्विदंतियां प्रसिद्ध हैं। इनमें एक प्रचलित है कि कधैला नाम की कन्या बल्लपुरा रामगढ़ ग्राम में डोडरवती बाहाण परिवार में जन्मी थी। बचपन में माता-पिता का स्वर्गवास हो लाने पर वह अपने भाई-भाभी के पास रहने लगी और रोजाना पास के पहाड़ों पर गायों को चराने जया करती थी और देर रात घर लौटती थी।
एक दिन भाई-भाभी को शक होने पर उन्होंने धैला का पीछा किया। उन्होंने देखा की वहां राजसभा में मुख्य देवी के सिंहासन पर धैला बैठी थी। भाई-भाभी को देख उसने वहीं अपने प्राण त्याग दिए। कालान्तर में लाखा नाम का एक बंजारा वहां से निकला और रात्रि विश्राम के लिए वहां रुका तभी वहां देवी प्रकट हुई और बोली इन गाडों में क्या है, उसने उत्तर में नमक बताया। जवाब पाकर देवी पहाड़ों में चली गई। सुबह जब बंजारे ने गाडों में नमक पाया तो वह करुण विलाप करने लगा। उसका करुण विलाप सुन देवी प्रकट हुई तो दोवी के समक्ष माफी मांगी और उसका माल पहले जैसा हीरा-जवाहरात हो गया। व्यापारी ने वापस लौटते समय वहां एक मंदिर व कुण्ड बनवाया, जो आज भी विद्यमान है। शनै:-शनै:- इसका काफी विकास हो गया। देवी मैया के प्रति लोगों की इतनी अटूट श्रद्धा है कि नवविवाहित जोड़े जात देने, मन्नत मांगने, बच्चों की लटूरी उतरवाने का महत्व है।
बहरोड़ क्षेत्र से भी पहुंचने लगे श्रद्धालु

बहरोड़. ग्राम बहतु कला स्थित देवी धौलागढ़ मंदिर में धोलागढ़ देवी के दर्शनाथ श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। श्रद्धालु आचार्य कपिल ने बताया कि उपखंड की एकमात्र देवी मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है और नवरात्र में क्षेत्रीय सहित आसपास के श्रद्धालु दूरदराज के देवी के दर्शन करने आते हैं। भक्तों की संख्या नवरात्र में ज्यादा होती है। नौ दिन तक माता का आकर्षक शृंगार किया जाता है।

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