
नवरात्र 2018 : 1500 साल पुराना है इस मंदिर का इतिहास, माता के नौं स्वरूपों के होते हैं दर्शन, होती है हर मुराद पूरी
नौगांवा. नौगांवा कस्बें से पश्चिम दिशा में करीब 12 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमाला की गोद में बसे गांव नंगला चिरावडा की पहाडियों में स्थित माँ मंशा देवी मन्दिर आस-पास क्षेत्र ही नहीं बल्कि अन्य राज्यो के भक्तों की आस्था का केन्द्र है। पहाडिय़ों से घिरे और प्रकृति की वादियों में बने इस मन्दिर में माता मंशा की अखण्ड ज्योत कई वर्षो से निरन्तर प्रकाशमान है । पूर्व में जहां मन्दिर जर्जर अवस्था में हो गया था, जिसे गत वर्ष ही माता मंशा मन्दिर विकास समिति द्वारा जीर्णोदार करा यहाँ नवदेवी मन्दिर का निर्माण करने से भक्तों की आस्था को कई गुणा बढा दिया।
मन्दिर में माता मंशा के अलावा माता शैलपुत्री, माता ब्रहमचारिणी, माता चन्द्रघंटा, स्कन्द माता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी माता, सिद्वी दात्री माता की मूर्तिया विराजमान है। भक्त नवरात्रों पर रोजाना माता की ज्योत देखने के लिए आते है और नौ दिन तक नवदेवी के स्वरूपों का दर्शन करते हैं।यह है मंशा मन्दिर के पीछे की कथा-मन्दिर के वर्तमान पुजारी रामखिलाडी गुर्जर ने मन्दिर के पीछे की कथा के बारे में बताया कि लगभग 1500 वर्ष पूर्व उनके पूर्वज मेघा भक्त इन पहाडियों में अपने पशुओं और गायों को चराने आते थे और यहां स्थित एक पेडं के नीचे विश्राम करते थे । उनकी पोती उनके लिए खाना लाती थी । एक दिन उनकी पोती के स्वरूप में एक कन्या वहां आई और बोली दादा भोजन कर लो। मेघा भक्त ने भोजन कर लिया और कुछ ही देर में उनकी पोती आई और बोली कि बाबा भोजन कर लो तो भक्त ने सोचा कि अभी तो भोजन किया फिर ये दोबारा क्यों आई है। अगली बार भी वहीं कन्या भोजन लेकर आई तो मेघा गुर्जर ने कहा कि पहले ये बताओं कि तुम कौन हो तभी भोजन करूंगा तो कन्या बोली कि पहले भोजन कर लो उसके बाद मै अपने बारे में बता दूंगी।
भोजन के बात उसने बताया कि वह कन्या स्वरूप में माता मंशा है। उसी कन्या ने कहा कि भैसों में जो भूरा पडडा है उसे नहला कर और सिन्दूर का तिलक लगा कर गांव वाले यहां आना और ये पड्डा जिस शिला को चाटे उसके नीचे मेरी पिंडी निकलेगी वहां ज्योत जोड़ देना । वहीं पिंडी पर विशाल माता मंशा का मन्दिर है और दूर दराज के भक्त माता के दर्शन के लिए यहां आते है और माता उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है ।
साल में दो बार भरता है लक्खी मेला- माता मंशा के मन्दिर पर वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्र एवं अश्विनी नवरात्र अष्टमी पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। वैसे नवरात्रों सहित आए दिनों माता के भक्त माता के दर्शन के लिए आते रहते है ं। मेलें में आस-पास क्षेत्र के अलावा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, के हजारों भक्त माता के मन्दिर में मन्नौती मांगने आते है।
क्षेत्र में मन्दिर का धार्मिक महत्व है, यहाँ के लोग कोई भी शुभ कार्य करने से पहले माता का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते। मेंले के दौरान बाहर से आई जागरण पार्टियों द्वारा रात्रि में माता के भजनों का गुणगान किया जाता है, वहीं कमेटी की ओर से इस मौके पर विशाल भंडारों का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रदालु प्रसाद ग्रहण करते है ।गुर्जर जाति के लोग करते है माता की पूजा-जानकारों के मुताबिक माता मंशा देवी के मन्दिर पर पूजा पाठ का कार्य नंगला चिरावडा के गुर्जर समाज के लोग करते है। गांव के यादराम पहलवान का कहना है कि मेघा गुर्जर उनके पूर्वज है और एक ही गुर्जर परिवार के लोग नंगला चिरावड़ा गांव में निवास करते है और इसी गांव के लोग बारी-बारी से माता मंशा के मन्दिर पर पाठ पूजा का कार्य करते ह़ै।
Published on:
11 Oct 2018 04:50 pm
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