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एनसीआर का घटेगा आकार तो अलवर-भरतपुर हो सकते हैं बाहर, भिवाड़ी रहेगा बरक़रार, जानिए राजस्थान को फायदा या नुकसान

locationअलवरPublished: Oct 27, 2021 04:06:45 pm

Submitted by:

Hiren Joshi

Delhi NCR की सीमा क्षेत्र का दायरा कम किया जाएगा। जिससे राजस्थान के जिले अलवर और भरतपुर का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर होने की संभावना है।

NCR News: Alwar And Bharatpur Might Be Out Of NCR Selected Top Story

एनसीआर का घटेगा आकार तो अलवर-भरतपुर हो सकते हैं बाहर, भिवाड़ी रहेगा बरक़रार, जानिए राजस्थान को फायदा या नुकसान

अलवर. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल शहरों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी और विकास के लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की ओर ड्राफ्ट रीजनल प्लान-2041 को मंजूरी देने के बाद एनसीआर में शामिल पूर्वी राजस्थान के जिले अलवर शहर और भरतपुर जिले के क्षेत्र से बाहर होने की सम्भावना हैं। फ़िलहाल एनसीआर का दायरा 175 किलोमीटर तक है।
ड्राफ्ट के तहत दिल्ली राजघाट से 100 किलोमीटर के दायरे का क्षेत्र ही एनसीआर में शामिल रहेगा। उद्योगनगरी भिवाड़ी शहर परिसीमन के बाद भी एनसीआर में बरकरार रहेगा। यह फैसला राज्य सरकार करेगी। 12 अक्टूबर को ड्राफ्ट रीजनल प्लान 2041 को मंजूरी दी गई। मार्च 2022 तक इस प्लान की अंतिम अधिसूचना जारी होगी। अलवर जिला प्रारम्भ से ही एनसीआर का में शामिल है। हालांकि जिले के शेष हिस्से को 23 अगस्त 2004 को शामिल किया गया था। वहीं भरतपुर 1 अक्टूबर 2013 को एनसीआर में शामिल हुआ। लेकिन अब तक भरतपुर में एक भी परियोजना शुरू नहीं की गई।

राजघाट से 100 किमी क्षेत्र एनसीआर में होगा, मार्च से लागू होने की उम्मीद

एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में पेश किए गए ड्राफ्ट के तहत दिल्ली के राजघाट से 100 किलोमीटर की दूरी का क्षेत्र ही एनसीआर में रहेगा। इस ड्राफ्ट को नवंबर माह में पूर्ण रूप से प्रकाशित किया जाएगा। ड्राफ्ट को मार्च 2022 में लागू किए जाने की तैयारी है। जिसके बाद ही एनसीआर के नवीन क्षेत्र की स्थिति साफ़ हो पाएगी।
उद्योगनगरी भिवाड़ी से बढ़ेगी दिल्ली की कनेक्टिविटी

रीजनल प्लान 2041 में एनसीआर में शामिल शहरों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया गया है। ड्राफ्ट प्लान के तहत राजधानी दिल्ली की एनसीआर के अन्य शहरों की दूरी सुपरफास्ट ट्रेनों से 30 मिनट में पूरा करने के उपाय पर जोर दिया गया है। अलवर जिले में भिवाड़ी की दिल्ली के राजघाट तक की दूरी करीब 80 किलोमीटर है। भिवाड़ी में औद्योगिक विकास बेहतर है। ऐसे में भिवाड़ी को एनसीआर में रखा जाएगा और दिल्ली और भिवाड़ी के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी।

कागजों से बाहर नहीं आई योजनाएं, जिलों को बाहर करने की तैयारी

अलवर और भरतपुर को एनसीआर का ख़ास लाभ नहीं मिल पाया। अलवर और भरतपुर में कोई बड़ी परियोजना शुरू नहीं की गई। अलवर के लिए जो घोषणाएं हुई वह भी अभी तक कागजों तक ही सीमित है। रीजनल प्लान 2021 के प्लान के मुताबिक जो विकास कार्य किए जाने थे वे कागजों में ही सिमटकर रह गए। इस प्लान के तहत वर्ष 2021 तक अलवर, भिवाड़ी, और एसएनबी कॉरिडोर को मेट्रो से जोड़ना था। अलवर शहर को रेडियल कॉरिडोर के जरिए दिल्ली या गुड़गांव तक जोड़ा जाना था। अलवर से गुड़गांव तक फोरलेन सड़क का निर्माण किया जाना था। अलवर में 337 करोड़ की लागत से सीवरेज और 55 करोड़ की लागत से कचरा निस्तारण का कार्य प्रस्तावित था। इसके अलावा पेयजल, परिवहन, टेलीकॉम, ग्रामीण विकास, पर्यटन, दूरसंचार के क्षेत्र में कई विकास कार्य किए जाने थे। लेकिन यह कार्य धरातल पर नहीं आ पाए।
विकास की उम्मीद नहीं हो पाई पूरी

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल होने से अलवर और भरतपुर जिले में विकास होने की उम्मीद थी। लेकिन दोनों जिलों में कोई बड़ी योजना नहीं आई। अलवर में एनसीआर योजना के तहत पेयजल और सड़कों का ही कार्य हो सका। अलवर और भरतपुर की कनेक्टिविटी के लिए परिवहन में भी कोई खास कदम नहीं उठाया गया।
खजाना भरने के लिए अलवर और भरतपुर का इस्तेमाल

सरकार अलवर और भरतपुर जिले से अपना खजाना भरने के लिए एनसीआर के नियमों का सहारा लेती है, लेकिन लोगों को सुविधाएं देने के समय दोनों जिलों की अनदेखी की जाती है। एनसीआर का सबसे ज्यादा खामियाजा किसानों को जमीन अधिग्रहण मामलों में उठाना पड़ा है। किसानों को जमीन अधिग्रहण के बदले मुआवजे की बात आती है तो उन्हें दिल्ली या आसपास के शहरों की दर से मुआवजे का भुगतान करने के बजाए अलवर जिले के ग्रामीण परिवेश का हवाला देकर भुगतान किया जाता है।

एनसीआर से बाहर होने पर यह राहत

पेट्रोल-डीजल होगा सस्ता-

एनसीआर में शामिल होने के कारण अलवर व भरतपुर के लोगों को प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले पेट्रोल और डीजल पर एनसीआर टैक्स के रूप में 30-30 पैसे ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर देखें तो एनसीआर में शामिल अलवर जिले में शनिवार को पेट्रोल 115.77 रूपए प्रति लीटर व डीजल 106.88 रूपए प्रति लीटर था। वहीं समीपवर्ती जयपुर जिले के कोटपुतली में पेट्रोल-डीजल की दर 115.47 और 106.62 क्रमश थी। एनसीआर में विकास के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है, लेकिन अलवर और भरतपुर जिले को इसका उचित लाभ नहीं मिल पा रहा।
वाहनों की अवधि में मिलेगी छूट-

एनसीआर में शामिल होने के कारण अलवर और भरतपुर में रजिस्टर्ड डीजल वाहन की अवधि 10 वर्ष और पेट्रोल वाहन की 15 साल ही है। अवधि पूरी होने के बाद वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाता है। ऐसे में वाहन चालकों को एनसीआर के बाहर अन्य जिलों में पुनः नामांकन करवाना पड़ता है। एनसीआर क्षेत्र में अवधि पार वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र भी जारी नहीं किया जाता। अगर अलवर और भरतपुर एनसीआर से बाहर होंगे तो अवधि की परेशानी नहीं आएगी।
पर्यावरण के प्रतिबन्ध हटेंगे-

एनसीआर में शामिल अलवर और भरतपुर को सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ने के साथ ही कई प्रतिबन्ध झेलने पड़ते हैं। प्रदूषण के चलते औद्योगिक इकाइयां बंद करनी पड़ती है। एनसीआर में शामिल होने के कारण अलवर और भरतपुर पटाखों की बिक्री का भी प्रतिबन्ध झेल रहे हैं। जबकि अलवर और भरतपुर पटाखों का बड़ा बाजार है। अगर यह प्रतिबन्ध हटते हैं तो प्रतिवर्ष 15 करोड़ का कारोबार बढ़ेगा।

एक नजर में एनसीआर

कुल जिले- 24 व एनसीटी दिल्ली

क्षेत्रफल

हरियाणा – 25 हजार 327 वर्ग किमी

उत्तर प्रदेश- 14 हजार 826 वर्ग किमी

राजस्थान- 13 हजार 447 वर्ग किमी
दिल्ली- 1 हजार 483 वर्ग किमी

राजस्थान में काउंटर मैगनेट क्षेत्र- जयपुर व कोटा

राजस्थान में परियोजनाएं

प्रक्रियाधीन- 54 अनुमानित लागत- 3437 करोड़ स्वीकृत ऋण- 2427 करोड़
पूर्ण- 30 1679 करोड़ 631 करोड़
कुल- 84 5116 करोड़ 3058 करोड़
(मार्च 2020 तक)

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