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कभी कचरा बीनते थे बच्चे, अब बोल रहे फर्राटेदार अंग्रेजी

बचपन बचाओ समिति संवार रही बच्चों का भविष्य

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कभी कचरा बीनते थे बच्चे, अब बोल रहे फर्राटेदार अंग्रेजी

अलवर. अध्ययन करते विद्यार्थी। , अलवर. अध्ययन करते विद्यार्थी। , अलवर. अध्ययन करते विद्यार्थी।

अलवर. कचरा बीनना और भीख मांगना व छोटे अपराध करना जैसे उनकी नियति बन गई हो, यह सब मान बैठे थे। इस नियति को ही युवाओं के समूह ने बदल दिया और धारा के विपरीत ऐसे बच्चों को रोज लाकर पढ़ाने और समाज की मुख्यधारा से जोड़ दिया। अब देखिए इन बच्चों को ये आपको देखकर नमस्ते करेंगे और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलेंगे। ये वे ही बच्चे हैं जिनका अतीत तो ऐसा नहीं था, जो आज है। अब इन बच्चों के भविष्य के सपने भी हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर। इनमें कई तो देश सेवा करना चाहते हैं। ये मासूम कुछ सालों में ही बदल गए हैं। ऐसी बातें कहानियों में अच्छी लगती हैं, लेकिन अलवर में एक संस्था ने इसे वास्तव में धरातल पर लाकर दिखा दिया है।
350 बच्चे हैं अध्ययनरत
बचपन बचाओ समिति ने वर्ष 2017 में लोहा मंडी में इन बच्चों को पढ़ाने की मुहिम शुरू की, जो आज तक जारी है। अलवर शहर के जेल का चौराहा, अंबेडकर नगर, बुध विहार, डबल फाटक, आरटीओ ऑफिस के पास समिति ने बच्चों को इकट्ठा कर उनके लिए कक्षाएं लगानी शुरू की और अब करीब 350 बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं। इसके लिए बुधविहार केंद्र पर मुख्य सेंटर बनाया हुआ है जहां बच्चों को पढऩे के लिए फर्नीचर की सुविधा के साथ साथ खेलकूद के लिए ग्राउंड भी तैयार किया हुआ है।


मजदूरी करते हैं माता-पिता, बच्चे पढ़ रहे अंग्रेजी
झुग्गी झोपडिय़ों से बच्चों को लाने व ले जाने के लिए समिति की ओर से दो वैन लगाई गई है। ज्यादातर बच्चों के माता पिता मेहनत मजदूरी करते हैं। जो दिन में मजदूरी पर जाते हैं। इनके पास बच्चों को शिक्षा देने के लिए पैसे भी नहीं है। ऐसे में समिति इन बच्चों को घर से लाकर उन्हें स्कूली शिक्षा से जोड़ रही है। इसके साथ ही बच्चों को अंग्रेजी बोलना और अच्छे संस्कार भी दिए जा रहे हैं। बच्चों के लिए हॉबी क्लास भी चलाई जाती है जिसमें ड्राइंग व डांस आदि सिखाए जाते हैं। यहां आने के बाद बच्चों की दिनचर्या पूरी तरह से बदल गई है। कभी बिना नहाए गंदे कपड़ों में रहने वाले ये बच्चे अब साफ सुधरे नजर आते हैं।

इन्होंने संवारा बच्चों का बचपन
इस टीम में दिनेश किराड़, खुशबू जैन, मनीषा सैनी, अशोक धींगरा, कैप्टन उमराव सैनी, सीमा मेहता, अरूण मेहता, सीमा मेहता, नीरज शर्मा, पूजा, शिखा शर्मा सहित करीब 15 सदस्य शामिल हैं। जो अपनी शिक्षा व व्यवसाय के साथ साथ इन बच्चों के लिए समय निकालकर उनको शिक्षित करने के लिए काम कर रहे हैं।