
अलवर. ऑनलाइन गेम्स ने बच्चों का हंसता-खेलता बचपन बर्बाद कर दिया है। अस्पताल के मनोरोग विभाग की ओपीडी में हर दिन परिजन अपने बच्चों की समस्या लेकर चिकित्सकों के पास आ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि उनका बच्चा कोई बात नहीं मानता है। कुछ कहते हैं तो आक्रामक हो जाता है। चिकित्सक जब बच्चों की दिनचर्या और हॉबीज के बारे में पूछते हैं तो एक ही बात सामने आती है कि वह कुछ दिनों से मोबाइल या लैपटॉप पर ऑनलाइन गेम खेलना पसंद करता है।
क्रिकेट, फुटबॉल और कबड्डी को भूले
कुछ साल पहले तक बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल और कबड्डी सहित अन्य कई खेलों में रुचि ले रहे थे। खेलों के बहाने वे अपने दोस्तों से मिलते थे, उनके साथ हंसी-मजाक करते थे। जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन कोविड के बाद से शारीरिक खेलों की जगह ऑनलाइन खेलों ने ले ली। इस कारण युवा और बच्चे मनोरोग का शिकार हो रहे हैं। चिकित्सक भी परिजनों से बच्चों का स्कूल में व्यवहार, स्कूल व पड़ोस के दोस्त और शारीरिक खेलों में उसकी रुचि आदि के बारे में जानकारी कर उनकी काउंसङ्क्षलग कर रहे हैं।
मोबाइल की लत से छुटकारा पाने के उपाय
केस-1
सामान्य अस्पताल के मनोरोग विभाग में एक महिला अपने 10 वर्षीय बेटे को लेकर आई। उसने चिकित्सकों को बताया कि बेटा पढ़ाई में अच्छा है, लेकिन रात को नींद में उठकर मोबाइल ढूंढता है और मोबाइल-मोबाइल चिल्लाता है। उससे मोबाइल लेते हैं, तो चीखना-चिल्लाना शुरू कर देता है। एक माह से फ्री फायर गेम खेलता है।
केस-2
शहर की कोङ्क्षचग में पढ़ रहे 14 वर्षीय छात्र के परिजनों ने चिकित्सकों को बताया कि बेटे की पढ़ाई अच्छी चल रही थी, लेकिन 6 महीने से एकांत में अधिक रहने के साथ चिड़चिड़ा हो गया। उसके मन में भी भद्दे विचार आने लगे। परिजनों ने चिकित्सकों को बताया कि वह 6 महीने से ऑनलाइन गेम खेल रहा है।
केस-3
शहर निवासी 16 वर्षीय बच्चे के माता-पिता ने बताया कि उनका बेटा मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलता है। उसके व्यवहार में भी परिवर्तन आ गया है। बच्चे के पिता स्वास्थ्य कर्मी हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे को मोबाइल पर गेम खेलने से मना करते हैं, तो वह मारने-पीटने पर उतारू हो जाता है। इसके अलावा मोबाइल के बिना खाना-पीना भी छोड़ देता है।
केस-4
शालीमार निवासी एक महिला ने बताया कि उसका 8 वर्षीय बेटा कुछ दिनों से उनकी बात नहीं मानता। स्कूल जाने के लिए कहते हैं तो आक्रामक हो जाता है। उसको प्यार से भी समझाया, लेकिन कोई बात नहीं बनी। परिजनों ने बताया कि बच्चा करीब एक माह से मोबाइल पर गेम खेल रहा है।
टॉपिक एक्सपर्ट
ऑनलाइन गेङ्क्षमग के कारण बच्चे मानसिक रोगों के शिकार हो रहे हैं। वर्तमान में स्कूल व कोङ्क्षचग के पाठ्यक्रम से जुड़ी बहुत सारी चीजें ऑनलाइन मिलती हैं। इस कारण बच्चों को पढ़ाई के बहाने बच्चों को एंड्रॉयड फोन और टैब आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं। स्क्रीन पर ज्यादा समय देने से बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। दूसरा बड़ा कारण बच्चों का एकाकीपन है। शारीरिक खेलों में रुचि नहीं लेना व परिजन का बच्चों को समय नहीं दे पाना भी बड़ा कारण है।
डॉ. प्रियंका शर्मा,
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ, सामान्य अस्पताल।
Updated on:
06 Jan 2025 06:35 pm
Published on:
06 Jan 2025 06:10 pm
बड़ी खबरें
View Allअलवर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
