
अलवर.तालवृक्ष में स्थित गर्म पानी का कुंड।
अलवर. अलवर जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर व नारायणपुर उपखण्ड क्षेत्र से करीब 10 किमी दूर तालवृक्ष धाम का पौराणिक एवं ऐतिहासिक दोनों रूप से विशेष महत्व है। पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। श्रुतियों के अनुसार तालवृक्ष मांडव ऋषि की तपो स्थली रहा है। इस स्थान पर ताल ( अर्जुन ) व खजूर के वृक्ष बहुतायत में होने के कारण तालवृक्ष कहा जाता है। इस धाम के पास गांव मुण्डावरा जिसका नाम मांडव ऋषि के नाम पर पड़ा। यह स्थान महाभारत से भी जुड़ा है। किवदंती है कि महाभारत काल में पाण्डवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने हथियारों को तालवृक्ष में ताल के विशाल और ऊंचे वृक्षों में छुपा दिया था और यहां से विराटनगर जाकर विराट नरेश की सेवा की।
सात फीट ऊंचा है शिवलिंग
तालवृक्ष में अर्जुन के अराध्य देव की सात फीट उंची शिवलिंग है, जिसे भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह पिण्डी जिस मंदिर में स्थापित है उसके गुम्बद में अनेक देवताओं की मूर्तियां तराशी हुई हैं जो सभी खण्डित हैं। बताया जाता है कि औरंगजेब व मोहम्मद गजनवी के समय खण्डित कर दी गई। यहां शनिवार, मंगलवार, पूर्णिमा, अमावस्या के दौरान बडी संख्या में लोग जलाभिषेक कर अपनी मन्नत मांगते है। शिवरात्रि पर विशेष जलाभिषेक किया जाता है।
गंगा माई का मंदिर
तालवृक्ष में गंगा मंदिर भी है। गंगा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा यहां आमेर नरेश रामङ्क्षसह के शासन काल में बाबा पूर्ण दास ने कराई थी। जो आज देवस्थान विभाग की अनदेखी के कारण मंदिर की सारसंभाल नहीं हो पा रही है।
खेत में निकले वराह भगवान
तालवृक्ष में भगवान विष्णु के वराह अवतार की मूर्ति भी थी जो की अष्ठ धातु से बनी हुई थी। वह मूर्ति किसी किसान के खेत में हल की नोक में अटक कर
संवत 2020 में खेत से बाहर आई जिसे मंदिर बनाकर
प्रतिष्ठित किया गया। लेकिन चोर उस मूर्ति को चुरा ले गए। बाद में मूर्ति को विदेश बेचने ले जाते समय कोलकाता के दमदम हवाई अड्डे से तत्कालीन तहसीलदार श्याम ङ्क्षसह व जिला कलक्टर के अथक श्रम से बरामद कर लिया गया । अब यह प्राचीन मूर्ति अलवर के पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में विराजित है।
गर्म व ठण्डे पानी के कुण्ड
तालवृक्ष के मुख्य आकर्षक गर्म कुण्ड व ठण्डे पानी के कुण्ड हैं। पहले यह कुण्ड कच्चे थे। नारायणपुर के तत्कालीन महाराज रामङ्क्षसह ने इनका जीर्णोद्धार करवाया था। गर्म पानी के कुण्ड में स्नान करने से चर्म रोग दूर होता है। तालवृक्ष में राजपूतकालीन छतरियां भी है। जीन पर मुगल शैली के चित्र बने हुए है। जो आज भी देखें जा सकते है। लेकिन इनकी सारसंभाल नही होने के कारण गिराउ हालत में भी एक छतरी है।
Published on:
09 Jan 2023 12:28 am
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