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मरीजों को अभी और खाने पड़ेेंगे धक्के…रेड लाइट का निर्णय एक माह बाद भी अधूरा

प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, यातायात पुलिस किसी ने इस ओर नहीं दिया ध्यानसामान्य व महिला अस्पताल के बीच अंडरपास का विकल्प रेड लाइट हुआ था तय

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मरीजों को अभी और खाने पड़ेेंगे धक्के...रेड लाइट का निर्णय एक माह बाद भी अधूरा

मरीजों को अभी और खाने पड़ेेंगे धक्के...रेड लाइट का निर्णय एक माह बाद भी अधूरा

सरकारी मशीनरी निर्णय लेने में ही नहीं, उसका पालन करने में भी देरी करती है। धरातल पर प्रोजेक्ट आते-आते वर्षों लग जाते हैं। उसी में शामिल है सामान्य व महिला अस्पताल के मध्य बनने वाला अंडरपास। फिलहाल ये ठंडे बस्ते में चला गया है। इसके विकल्प के रूप में रेड लाइट लगाने का निर्णय हुआ था, लेकिन एक महीना बीतने के बाद अब तक ये नहीं लग पाई है। मरीज जाम में फंस रहे हैं। अब लोकसभा चुनाव की आचार-संहिता लग चुकी है, ऐसे में करीब 2 जून तक मरीज और उनके परिजनों को जाम से ही दो-चार होना पड़ेगा।
पूर्व कलक्टर जितेंद्र सोनी के समय दोनों अस्पतालों के बीच अंडरपास बनाने का निर्णय लिया था। इसके बाद सोनी का तबादला हो गया और एक महीने पहले जिला प्रशासन की बैठक में कलक्टर आशीष गुप्ता का तर्क था कि अंडरपास से पहले रेड लाइट यहां लगाई जाएगी। मगर काम शुरू नहीं हो सका।


प्रशासन चाहे तो लगवा सकता है रेड लाइट
लोगों का कहना है कि प्रशासन चाहता तो निर्णय के दूसरे ही दिन रेड लाइट लग जानी चाहिए थी। इस समय मरीज परेशान हैं। ये परेशानी अभी और बढ़ेगी। एक प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि ये कोई विकास कार्य नहीं है। रेड लाइट आचार संहिता में भी प्रशासन चाहे तो लगवा सकता है।

काली मोरी पार्क: 4 माह में भी नहीं बन पाई बाउंड्रीवाल
नगर विकास न्यास (यूआईटी) ने दावा किया था कि 6 माह में काली मोरी पार्क का जनता लाभ लेती दिखेगी, लेकिन 4 माह में तो जमीन समतल ही हो पाई। बाउंड्रीवाल भी पूरी नहीं बन पाई। जानकारों का कहना है कि 6 माह से अधिक समय और इस पार्क को तैयार करने में लगेंगे।
इस तरह रखी गई थी नींव
शहर के ओवरब्रिज के नीचे खाली पड़ी जगह के सदुपयोग को लेकर राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया था। यूआईटी ने इस मामले में गंभीरता दिखाई और खाली जमीनों की तलाश शुरू हो गई। काली मोरी पुल के नीचे करीब एक बीघा जमीन यूआईटी को खाली मिली। इस जगह पर पार्क बनाने का प्रस्ताव अगस्त, 2023 में पास हुआ। पिछले साल अक्टूबर में इसका शिलान्यास हो गया। तय हुआ कि पार्क में बच्चों के लिए झूले से लेकर अन्य सुविधाएं होंगी। करीब एक करोड़ रुपए इस पर खर्च होगा। चार माह में ये पार्क लगभग तैयार हो जाना था, लेकिन काम की रफ्तार धीमी होने की वजह से यह लटका हुआ है। अफसरों की सफाई है कि विधानसभा चुनाव आ गए थे। साथ ही पत्थरों की किल्लत हो गई थी। अब पार्क का कार्य चल रहा है जो जल्द पूरा होगा।