कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज के लिए उन लोगों के रक्त में से प्लाज्मा लिया जाता है जो कि कोरोना पॉजिटिव होकर नेगेटिव हो गए हों। इस प्लाज्मा को कोरोना पॉजिटिव मरीज को चढ़ाया जाता है, जिससे कि उसके शरीर में एंडीबॉडीज डवलप हो और वह जल्दी स्वस्थ हो सके, लेकिन राज्य सरकार ने अलवर जिले में प्लाज्मा डोनेट करने और कोरोना पॉजिटिव मरीजों के लिए प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा को शुरू ही नहीं किया है। जिसके कारण यहां मरीजों का सामान्य स्तर पर इलाज किया जा रहा है तथा गंभीर मरीजों को इलाज के लिए जयपुर, गुरुग्राम या दिल्ली आदि रैफर किया जा रहा है।
मेडिकल कॉलेज स्तर पर है सुविधा राज्य सरकार ने उन जिलों में प्लाज्मा डोनेट करने और प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा दी हुई है जहां मेडिकल कॉलेज की सुविधा है। अलवर में सरकारों की ओर से करीब एक दशक से भी ज्यादा समय से मेडिकल कॉलेज का सपना दिखाया जा रहा है। करीब 800 करोड़ रुपए की बिल्डिंग तैयार खड़ी है, लेकिन फिर भी अलवर में मेडिकल कॉलेज को शुरू नहीं किया जा रहा है। अलवर में मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हो पाने के कारण यहां प्लाज्मा डोनेट करने और मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा भी नसीब नहीं हो रही है।
तेजी से बढ़ रहा कोरोना अलवर जिले में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 19 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है तथा कोरोना से जिले में अब तक 81 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर इंतजाम सामान्य स्तर के बने हुए हैं। गाइडलाइन के अनुसार इलाजअलवर जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज सरकार और चिकित्सा विभाग की गाइडलाइन और उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार किया जा रहा है।
जिले में प्लाज्मा डोनेट करने और मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी की सुविधा नहीं है। सरकार ने यह सुविधा मेडिकल कॉलेज स्तर पर उपलब्ध कराई हुई है। – डॉ. ओपी मीना, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अलवर।